आध्यात्म कोई जादूगरी नहीं जीवन जीने की कला सिखाता है
स्थानीय गायत्री शक्तिपीठ दमोह में गुरुपूर्णिमा महोत्सव के मुख्य आयोजन में शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक पंडित प्रमोद बारचे ने कहा कि गायत्री परिवार की स्थापना का उद्देश्य यह नहीं था कि इतने सारे देवी देवताओं के अतिरिक्त गायत्री माता की भी पूजा कराई जाए। गायत्री एक संपूर्ण विद्या है और इसकी साधना से भौतिक और आध्यात्मिक लाभ दोनों मिलते है। गायत्री महाविज्ञान को पढ़ने पर गायत्री की सभी साधनाओं को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।गायत्री मंत्र की व्याख्या ही चारों वेदों में की गई है। आज जर्मनी में अनेकों यूनिवर्सिटीज में यह प्रमाणित किया जा चुका है कि वेदों की ऋचाओं के उच्चारण से मानव की बुद्धि अत्यंत तीक्ष्ण और नीर क्षीर का विवेक करने वाली हो जाती है।वहां से बड़े बड़े वैज्ञानिक, प्रोफेसर्स भारत में वेदों का अध्ययन करने,उन्हें समझने भारत आते है और अपने यहां के छात्रों को वेदों का सा स्वर गायन सिखा रहे है।
दुनिया में सिर्फ सनातन संस्कृति ही ऐसी है जिसने कभी किसी को बल अथवा छल पूर्वक अपनी बात मनवाने मजबूर नहीं किया।प्रत्येक मनुष्य तो ठीक वस्तु, वनस्पति,पानी, वायु,पहाड़ इत्यादि में भी परमात्मा का स्वरूप देखा है। वसुधैव कुटुंबकम् अर्थात सारी पृथ्वी के लोग हमारे अपने है। किंतु जिनकी कोई संस्कृति नहीं,जिनका कोई प्रेरणादायक इतिहास नहीं वह हमारी संस्कृति के ऊपर प्रश्न खड़ा करते है।हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और इसकी रक्षा के लिया सदैव तत्पर रहना चाहिए।
मनुष्य तीन तरह से कार्य करता है, एक हम अपने मन से करेंगे,दूसरा जैसा प्रचलन में है हम वही करेंगे और तीसरा कोई क्या कहेगा।
जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी तो 23 साल की उम्र में फांसी पर हंसते हंसते चढ़ कर अमर हो गए,सुभाष चंद्र बोस आई सी एस की परीक्षा पास करके अंग्रेजों की नौकरी ना करके इतिहास में ऐसा कार्य करके अमर हो गए जिसकी कोई मिशाल नहीं मिलती, आदि शंकराचार्य दक्षिण में पैदा होकर मात्र 32 वर्ष की आयु में पूरे भारत को एक सूत्र में बांध गए। प्रतिभाएं ऐसा करती है,अपना निजी सुख,कष्ट नहीं देखती। महाराणा प्रताप यदि अकबर की अधीनता स्वीकार कर लेते तो आराम की जिंदगी जी सकते थे किंतु वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक नहीं बन सकते थे।इसलिए हमारा अध्यात्म कहता है कि मनुष्य अपने कार्य से अमर होता है इसलिए सदैव अच्छे और परोपकारी कार्य करना चाहिए। आध्यात्म कोई जादूगरी नहीं है, यह मनुष्य को जीवन कैसे जीना चाहिए यह सिखाता है।
गुरुपूर्णिमा के एक दिन पूर्व गायत्री महामंत्र का सामूहिक मानसिक अखंड जप हुआ।गुरुपूर्णिमा के प्रातः पंच कुंडीय महायज्ञ संपन्न हुआ जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनी एक एक बुराई छोड़ी। 14 लोगों ने गुरुदीक्षा ली।
दोपहर में विवेकानंद नगर के सार्वजिक पार्क में शांतिकुंज प्रतिनिधियों के द्वारा 10 वृक्षों का रोपड़ किया गया जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय निवासी कुलदीप नेमा और उनके परिवार द्वारा ली गई।
शाम के कार्यक्रम में हटा जनपद अध्यक्ष गंगाराम पटेल का इस बात के लिए सम्मान हुआ कि उन्होंने प्लास्टिक के पूर्ण वहिष्कार करने में अपना अमूल्य सहयोग दिया । छेवले के पत्ते की दोना पत्तल, फाइबर की कटोरी,स्टील के गिलास वह सार्वजनिक आयोजनों में निशुल्क उपलब्ध कराते है। अखंड ज्योति पत्रिका,युग निर्माण योजना पत्रिकाओं के आजीवन सदस्य बनने पर आकाश रश्मि चौधरी, नीरज हर्ष श्रीवास्तव, नंद कुमार पटेल शिक्षक,जलज हर्ष श्रीवास्तव और वैभव पटेल को भी मंच से दुपट्टा उढ़ा कर सम्मान किया गया।
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