मनावर से शकील खान
मुस्लिम समाज का मोहर्रम का त्यौहार मनाया जा रहा है। नगर के प्रमुख मार्गो से बुधवार देर रात्रि तक समाज के बच्चे से लेकर युवा अपने कंधे पर आर्कषक नक्काशी सुंदर ताजिये बनाकर या हुसैन के नारे एवं बेड बाजे,डोल के साथ निकाले गये।समाज के शहनवाज शेख ने बताया कि
यह त्यौहार गम और मातम का महीना है, जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक,मोहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है। यानी मोहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी सन् का शुरुआती महीना है।

नगर में 16 से 18 जूलाई को आशूरा या मुहर्रम मनाया जा रहा है। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। उनकी शहादत की याद में मोहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं। जिसे आशूरा भी कहा जाता है।आज 18 जूलाई को नगर के वार्ड क्रः 11 इमाम बाडा नाला प्रागण में दूधिया रोशनी से सराबोर कलात्मक ताजिए जियारत के लिए रखे गए।जहां बड़ी संख्या में हिन्दू-मुस्लिम धर्मावलंबियों की आवाजाही जारी रहेगी। यहां पर हिन्दू पटवा समाज के द्वारा मोहर्रम बनाया जाता हे ओर एक ताजा बाराह भाई ने बनाया गया है जिसमें सभी धर्म के लोग जुड़ै है । यहां पर सभी ताजियों पर लोगों ने चिरौंजी-रेवड़ी व खोपरा बाटकी चढ़ाई।













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