मोहन शर्मा SJ न्यूज एमपी
मामला महाराष्ट्र के पुणे का है। यहां के वडगांव शेरी सब्जी बाजार में एक शख्स सब्जी खरीदने आया था और वो टमाटर के भाव पूछने लगा। 42 वर्षीय गोपाल ढेपे ने जब टमाटर की कीमत सुनी तो सब्जी बेचने वाले अनिल गायकवाड़ से कहा कि वो बहुत महंगा बेच रहे हैं। गायकवाड़ ने कहा था कि 20 रूपये के 250 ग्राम टमाटर है। इसी बात पर दोनों में बहस छिड़ गई और तकरार बढ़ने लगी। गरमागरमी में सब्जी विक्रेता ने उनके चेहरे पर तराजू और सब्जी तौलने वाले बाट से हमला कर दिया।
इस हिंसक झड़प में गोपाल ढेपे को चेहरे पर चोट आई है। उन्होने मामले की शिकायत चंदन नगर पुलिस स्टेशन में की। पुलिस ने अलग अलग धाराओं में मामला पंजीबद्ध किया है और जांच की जा रही है। ये घटना मामूली नहीं, दिनोंदिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है। ऐसे में अगर बहुत सामान्य वस्तुओं की कीमतें भी इस तरह बढ़ने लगेंगी तो गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। कीमत बढ़ने में न खरीदार की गलती है न सब्जी बेचने वाले की। वो दोनों ही महंगाई से त्रस्त हैं और दोनों को अपना जीवन और परिवार भी चलाना है। लेकिन गुस्से की ये परिणिति खतरनाक है और आपराधिक मामला भी। ये घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि दिनोंदिन कठिन हो रहे हालात के बीच अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना और व्यवहार को निंयत्रित करना कितना जरुरी है।
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