मधुमेह रोग से युवाओं में बढ़ती नपुंसकता की समस्या एक गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी बचाव मै करे योग प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
आधुनिक जीवन-शैली, अनियमित खान-पान, शराब व तंबाकू सेवन लगातार बढ़ता मानसिक तनाव और शारीरिक निष्क्रियता ने युवाओं को अनेक जीवन-शैली जनित रोगों की ओर धकेल दिया है। इन्हीं में से एक प्रमुख रोग है मधुमेह (Diabetes Mellitus)। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि पहले यह समस्या जिसे वृद्धावस्था से जोड़ा जाता था,आज वही मधुमेह तेजी से युवाओं में फैल रहा है। इससे भी अधिक चिंताजनक तथ्य यह है कि मधुमेह के साथ-साथ युवाओं में नपुंसकता (Erectile Dysfunction) की समस्या भी खामोशी से बढ़ रही है,जो शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक,पारिवारिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित कर रही है। मधुमेह एक दीर्घकालिक चयापचय विकार (Chronic Metabolic Disorder) है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या बनी हुई इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। परिणामस्वरूप रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर लगातार बढ़ा रहता है, वैज्ञानिक रूप से मधुमेह के प्रकार टाइप-1 मधुमेह में अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा इंसुलिन का न बन पाना बही टाइप-2 इसमें इंसुलिन रेजिस्टेंस यानी कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन का उपयोग न कर पाना शामिल है, आज युवाओं में सबसे अधिक टाइप-2 मधुमेह देखने को मिल रहा है।युवाओं में मधुमेह क्यों और कैसे बढ़ रहा है इसके कई कारण है अस्वस्थ आहार प्रणाली, अधिक मीठा, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, फास्ट फूड, बार-बार खाने की आदत इससे रक्त में ग्लूकोज़ अचानक बढ़ता है। शारीरिक निष्क्रियता, बैठकर काम करना, मोबाइल व स्क्रीन पर अधिक समय रहना इससे मांसपेशियाँ ग्लूकोज़ का उपयोग नहीं कर पातीं। मोटापा और पेट की चर्बी, पेट की चर्बी से निकलने वाले फैटी एसिड्स इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाते हैं मानसिक तनाव और नींद की कमी तनाव से निकलने वाला हार्मोन कॉर्टिसोल ब्लड शुगर को बढ़ाता है। आनुवंशिक प्रभाव जिन परिवारों में मधुमेह का इतिहास है,वहाँ जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। मधुमेह और नपुंसकता का गहरा संबंध वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, मधुमेह से ग्रसित पुरुषों में 50–70% तक नपुंसकता का जोखिम पाया गया है।उच्च रक्त शर्करा के स्तर से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचता है, जिससे जननेंद्रिय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, शुक्राणु उत्पादन कम हो सकता है और इरेक्शन में कठिनाई आ सकती है। जिसके कारण युवा दंपत्ति माता पिता बनने में असक्षम हो सकते हैं, इसके अलावा,डायबिटिक न्यूरोपैथी तंत्रिकाओं को नुकसान पहुँचाकर यौन उत्तेजना को कम कर सकती है और संवेदना को प्रभावित कर सकती है। यह उम्र,जीवनशैली और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी प्रभावित हो सकता है। नसों की क्षति (Diabetic Neuropathy) अधिक शुगर लेवल से प्रजननांग ( जननेंद्रिय) तक जाने वाली सेंसरी और ऑटोनॉमिक नर्व्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिसके परिणाम कामेच्छा के संकेत मस्तिष्क तक सही रूप से नहीं पहुँचते। रक्त वाहिनियों का संकुचन (Endothelial Dysfunction)ब्लड शुगर बढ़ने से रक्त वाहिनियों की भीतरी परत को नुकसान होता है। जिससे जननेंद्रिय में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। नाइट्रिक ऑक्साइड की कमी इरेक्शन के लिए आवश्यक नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण मधुमेह में बाधित होता है। हार्मोनल असंतुलन लंबे समय तक मधुमेह रहने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कम होने लगता है, जो यौन शक्ति का आधार है।मानसिक कारणों मै आत्मविश्वास में कमी, प्रदर्शन का डर,अवसाद और चिंता, ये सभी नपुंसकता को और गंभीर बनाते हैं। यह लक्षणों का सामने आने पर ध्यान दें, यदि आपको लगातार इरेक्शन में समस्या हो रही है,कामेच्छा में कमी आई है, या कामेच्छा क्रिया के दौरान दर्द या बेचैनी महसूस हो रही है, तो यह मधुमेह से जुड़ी नपुंसकता का संकेत हो सकते है। इस समस्या से बचाव के लिए योग उपयोगी साधन है योग केवल परंपरा नहीं, बल्कि आज (एविडेंस बेस्ड थेरेपी) Evidence-Based Therapy के रूप में विश्व-स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है। योग कैसे काम करता है, योग से मांसपेशियाँ ग्लूकोज़ का बेहतर उपयोग करती हैं, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है,ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है, नसों और रक्त वाहिनियों की कार्यक्षमता सुधरती है, हार्मोनल संतुलन स्थापित होता है, मंडूकासन का अभ्यास अग्न्याशय को सक्रिय करता है, भुजंगासन रक्त संचार बढ़ाता है,धनुरासन से हार्मोनल संतुलन होता हैं,पश्चिमोत्तानासन पाचन व शुगर नियंत्रण में सहायक है,कपालभाति क्रिया इंसुलिन क्रिया में सुधार करती हैं,अनुलोम-विलोम नर्वस सिस्टम संतुलन को बढ़ाता हैं भस्त्रिका से रक्त शुद्धिकरण होता है,भ्रामरी से तनाव व अवसाद में कमी आती है ध्यान एवं योगनिद्रा के अभ्यास से मानसिक स्थिरता,आत्मविश्वास में वृद्धि, यौन क्षमता में सुधार आता है, संतुलित जीवन-शैली व योग अभ्यास से हम इस रोग से बच सकते हैं यह अनिवार्य आवश्यकता है जिसके अंतर्गत नियमित योग अभ्यास, संतुलित फाइबर युक्त आहार,पर्याप्त नींद, नशे से दूरी,तनाव प्रबंधन मधुमेह से युवाओं में बढ़ती नपुंसकता एक मौन महामारी का रूप ले रही है। यह समस्या लाइलाज नहीं है, बल्कि समय रहते सही जीवन-शैली और नियमित योग अभ्यास से पूरी तरह नियंत्रित की जा सकती है। योग शरीर की कोशिकाओं से लेकर मन और हार्मोन तक पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि युवा आज जागरूक होंगे, तो भविष्य स्वस्थ, सशक्त और आत्मविश्वास से भरपूर होगा।
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