सुसनेर राशन घोटाले में प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में: तीन महीने बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई 274 क्विंटल चावल गायब, दोषी अब तक बेखौफ

राजेश माली सुसनेर

सुसनेर राशन घोटाले में प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में: तीन महीने बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई 274 क्विंटल चावल गायब, दोषी अब तक बेखौफ

*सुसनेर में सामने आए गरीबों के राशन घोटाले को तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या* *कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है 274 क्विंटल चावल सरकारी गोदाम से गायब पाया गया जिसकी पुष्टि जांच में हो* *चुकी है इसके बावजूद प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और धीमी कार्यवाही पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं*

*एसडीएम सर्वेश यादव को मिली शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी, जिसमें कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सुरेश गुर्जर और नायब तहसीलदार रामेश्वर दांगी की टीम ने स्टॉक रजिस्टर में गड़बड़ी उजागर की थी। जांच में यह भी संदेह जताया गया कि गायब चावल को खुले बाजार में बेच दिया गया है*।

*आश्चर्यजनक रूप से इतने बड़े घोटाले के बाद भी प्रशासन ने अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं की है। न तो जिम्मेदारों को निलंबित किया गया, न ही एफआईआर दर्ज हुई। इससे प्रशासन की मंशा और कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है*।

*प्रशासनिक उदासीनता पर जनता में नाराजगी*

*स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों में प्रशासन की इस लापरवाही को लेकर भारी रोष है। उनका कहना है कि यदि आम जनता की किसी गलती पर त्वरित कार्रवाई होती है, तो फिर इतने बड़े सरकारी घोटाले पर चुप्पी क्यों*?

*नियमित निगरानी के बावजूद घोटाला कैसे?*

*वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन जैसे विभाग में नियमित निरीक्षण और रजिस्टर सत्यापन की प्रक्रिया होती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में चावल बिना मिलीभगत के कैसे गायब हो गया?*

*अब तक की जांच नाकाफी उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की मांग*

*हालांकि अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट जल्द वरिष्ठ* *अधिकारियों को सौंपी जाएगी, परंतु इस देरी से आमजन का* *भरोसा टूट रहा है। अब मांग की जा रही है कि इस मामले में* *उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो*

*सरकार और प्रशासन की छवि दांव पर*

*इस तरह के मामलों में लापरवाही केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचाती है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला राजनीतिक मुद्दा बनकर उभर सकता है*।

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