स्वयं और साथी के आंकलन से जाएंगे बच्चो की दक्षता – शैक्षिक संवाद

राजेश माली सुसनेर

स्वयं और साथी के आंकलन से जाएंगे बच्चो की दक्षता – शैक्षिक संवाद

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग का उद्देश्य शिक्षक व्यावसायिक उन्नयन को बढ़ावा देना है। इसके लिए सी. एम. राइज़ TF मिशन अंकुर के तहत, 2024-25 के सत्र में जनशिक्षा केंद्र स्तर पर “शैक्षिक संवाद” आयोजित करने का प्रस्ताव है। इस 1 से 8 के शिक्षक एक पीयर लर्निंग कम्यूनिटी (PLC) का हिस्सा बनकर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं और एक-दूसरे सीख रहे हैं, जिससे उनके और छात्रों के विकास में सुधार होगा।

जनशिक्षा केंद्र स्तर पर कक्षा 6-8 शैक्षिक संवाद आयोजित करने के 7 डिज़ाइन सिद्धांत दिए हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सहजकर्ता इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए संवाद का आयोजन करें, ताकि संवाद में उपस्थित प्रत्येक शिक्षक इस प्रक्रिया से लाभान्वित हो सकें और अंततः छात्रों के लिए प्रत्येक कक्षा में सीखने के लिए एक रोचक, सक्रिय और आनंदमयी वातावरण का निर्माण किया जा सके। इसी क्रम में स्वयं एवं साथी का आकलन पर संकुल केंद्र शासकीय कन्या हायर सेकेण्डरी सुसनेर का संकुल स्तरीय शैक्षिक संवाद शासकीय माध्यमिक विद्यालय छापरिया में दिनांक 18 जनवरी को समय 2 बजे से 5 बजे तक आयोजित किया गया जिसमे सभी का स्वागत बोर्ड की सहायता से सहजकर्ता रोशन बैग, शिवलाल ओसारा और गोकुल वर्मा द्वारा स्वागत किया गया वही शैक्षिक संवाद के सिद्धांत ओर उद्वेश्य संबंधित जानकारी सह सहजकर्ता देवीलाल आटोडिया द्वारा दी गई जिसके पश्चात सह सहजकर्ता भेरूलाल ओसारा द्वारा सभी प्रतिभागियों का बड़े ही रोचक तरीके से परिचय कराया गया जिसके उपरांत 30 और 70 के अनुपात अनुसार स्वयं और साथी के आंकलन पर गतिविधि आयोजित कराई गई जिसमे प्रतिभागियों द्वारा पहले स्वयं का आंकलन किया गया तदोपरांत अपने साथी का आंकलन दिए गए मापदंडों के आदर पर कैसे करना हे उसका प्रोगत्मक तरीके से क्रियान्वयन किया गया । आप सभी जाने

*स्वयं एवं साथी का आकलन क्या है?*

यह आकलन हेतु शिक्षकों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक रणनीति हैं जो विद्यार्थियों को अपने एवं साथी के काम को गंभीर और विचारशील तरीके से करने में सक्षम बनाकर उन्हें जल्दी और गहन रूप से सीखने में मदद करती हैं।

साथी के आकलन में पूर्व में निर्धारित किए गए मानदंड के आधार पर एक-दूसरे के काम का आकलन किया जाता है एवं धक-दूसरे को फीड़वेक देने का कार्य किया जाता है। वहीं इन्हीं मानदंडो का उपयोग करके विद्यार्थी अपने स्वयं के काम की भी गहराई से आकलन करके विचार करते हैं एवं सुधार करते हैं।

*स्वयं एवं साथी के आकलन का महत्व*

शिक्षण प्रक्रिया में साथी एवं स्वयं के आकलन का महत्वपूर्ण स्थान है। ये आकलन की रणनीति न केवल विद्यार्थियों के सीजने में सहायक होती है, अपितु उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

इस आकलन का निम्न महत्व है:

1. सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की सक्रिय भागीदारी होती हैं।

2. सहयोग और टीम भावना (सामाजिक कौशल) का विकास होता है।

3. विद्यार्थियों में स्वयं की कमियों की पहचान कर उन पर कार्य करने की संस्कृति अर्थात विकासशील मानसिकता का विकास होता है

*स्वयं एवं साथी के आकलन की प्रक्रिया*

शिक्षक द्वाटा विद्यार्थी के साथ किसी अवधारणा से संबन्धित कोई कार्य या गतिविधि करने के बाद स्वयं एवं साथी के आकलन की प्रक्रिया की जाती है। इस रणनीति का क्रियान्वयन 3 चरणों में होता है।

चरण 1: सर्वप्रथम शिक्षक बच्चों के साथ चर्चा करके उनके द्वारा किए गए कार्य या गतिविधि के लिए

आकलन के लिए मानदंड निर्धारित करते हैं।

चरण 2: उन मानदंडों का साथौ एवं स्वयं के काम के आकलन में उपयोग करने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश देते हैं।

चरण 3: विद्यार्थी एक-दूसरे के कार्यों का आकलन निर्धारित मानदंडों का उपयोग करके करते हैं।

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