सुसनेर में 100 वर्षों से हो रहा मकर संक्रांति के दिन परम्परा का निर्वाह मकर संक्रांति के दिन घर में कराएं सत्यनारायण की कथा, मिट जाएंगे सब कष्ट – गोवर्धन शुक्ला

राजेश माली सुसनेर

सुसनेर में 100 वर्षों से हो रहा मकर संक्रांति के दिन परम्परा का निर्वाह

मकर संक्रांति के दिन घर में कराएं सत्यनारायण की कथा, मिट जाएंगे सब कष्ट – गोवर्धन शुक्ला

सुसनेर। मकर संक्रांति के दिन सत्यनारायण की कथा सुनने से कई तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। सत्यनारायण कथा की महिमा के बारे में पुराणों में बताया गया है। इस कथा को सुनने से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।

ये बात लोकतंत्र सेनानी संघ के जिला उपाध्यक्ष गोवर्धन शुक्ला ने अपने निवास पर विगत 100 वर्षों से मकर संक्रांति के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा कराने की परंपरा को आज भी जीवित रखते हुए कथा समाप्ति पर कही। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ये कथा हमारे निवास पर विगत 100 वर्षों होती आ रही है। पहले हमारे दादाजी ये कथा कराते आये है फिर हमारे पिताजी लोकतंत्र सेनानी स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण शुक्ला ने इस परंपरा को जीवित रखते हुए स्वर्गीय भगीरथ भट्ट से ये कथा मकर संक्रांति पर कराते आये है।

उनके निधन के बाद परिवार की इस परंपरा को मेरे द्वारा निभाते हुए स्वर्गीय भागीरथ भट्ट के सुपुत्र पण्डित वेदप्रकाश भट्ट ये कथा विगत कई वर्षों से मेरे द्वारा कराई जा रही है। मंगलवार को भी मकर संक्रांति के दिन पूरे परिवार के साथ ये कथा सम्पन्न कराई गई। जिसमे मेरी बड़ी बहन कृष्णा एवं जियाजी तथा पुत्री सुनीता एवं नाती, नातिन सहित मेरे दिनों पुत्र, पुत्रवधू एवं पौत्र, पौत्री सहित आसपास के पड़ोसी भी सम्मलित हुए। कथा समाप्ति के बाद महाआरती एवं प्रसादी वितरण के बाद भजन कीर्तन होता है उसके बाद पूरा परिवार मकर सक्रांति मनाते हुए मकान की छत पर एक साथ पतंग उड़ाते है।

इस सत्यनारायण भगवान की कथा को मकर संक्रांति पर कराने पर घर में सुख,समृद्धि और धन का आगमन होता है।

मकर संक्रांति का पर्व पुण्य कमाने का पर्व है। इस दिन पूजा, स्नान और दान करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं. इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन सत्यनारायण की कथा सुनने से भी कई तरह के संकट और कष्ट मिट जाते हैं। इसलिए जिन घरों में क्लेश, रोग, धनहानि और कर्ज जैसी समस्याएं है वहां मकर संक्रांति के मौके पर सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि सत्यनारायण की कथा के बारे में विगत 100 वर्षों से लोकतंत्र सेनानी स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण शुक्ला के निवास पर पीढ़ी दर पीढ़ी श्री सत्यनारायण भगवान की कथा करने वाले स्वर्गीय पण्डित भगीरथ भट्ट के सुपुत्र पण्डित वेदप्रकाश भट्ट जो अपने पिता स्वर्गीय भागीरथ भट्ट जो स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण शुक्ला के यहां प्रत्येक मकर संक्रांति पर ये कथा करते थे आज स्वर्गीय श्री शुक्ला के सुपुत्र लोकतंत्र सेनानी गोवर्धन शुक्ला के निवास पर अब मकर संक्रांति के पर्व पर स्वर्गीय भगीरथ भट्ट के सुपुत्र पण्डित वेदप्रकाश भट्ट ये सत्यनारायण की कथा करते है। उनके अनुसार ये कथा मकर संक्रांति पर सुनने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। क्योंकि इस दिन सत्यनारायण कथा सुनने वालों को अन्य दिनों की अपेक्षा 100 गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस कथा को सुनने का फल हजारों यज्ञ के बराबर होता है। इसलिए हिंदू धर्म में इस कथा से सभी लोग परिचित हैं। वैसे तो किसी भी शुभ दिन में सत्यनारायण की कथा को सुना जा सकता है। लेकिन पूर्णिमा और संक्रांति के दिन इसे सुनना सर्वोत्तम माना गया है। स्कन्द पुराण में भगवान सत्यनारायण श्री हरि विष्णु का दूसरा रूप कहा गया है। कलयुग में इस कथा को सुनना बहुत शुभ माना गया है।

पुराणों के मुताबिक जहां पर श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है वहां पर गौरी-गणेश, नवग्रह और सभी देवी देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त होता है। कथा में भगवान को पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी दल आदि का भोग कराया जाता है। इसके बाद इसी का प्रसाद वितरित करना चाहिए।

मकर संक्रांति के दिन कथा समापन के बाद साधू,संतों और जरूरत मंदों को खिचड़ी, वस्त्र का दान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होना शुरू हो जाता है। घर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे घर में खुशहाली और समृद्धि आना शुरू हो जाती हैं। बुरी और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है जिससे मानसिक तनाव खत्म होता है।

चित्र 1 : सुसनेर में शुक्ला परिवार निभा रहा है 100 वर्षों मकर संक्रांति पर कथा कराने की परंपरा।

चित्र 2 : कथा के बाद भजन कीर्तन करती महिलाऐं।

चित्र 3 : सत्यनारायण भगवान की कथा के बाद पूरा परिवार मिलकर उड़ाते है पतंग।

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