राजेश माली सुसनेर
सुसनेर का नाम मध्यप्रदेश के इतिहास में लिखा कर एवं यहां के लोगो को परोपकार का अर्थ समझा कर सुसनेर से पाटन की ओर नंगे पैर विहार कर गए आचार्य श्री प्रज्ञासागर महाराज
सुसनेर। परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई करना
संत कबीरदास कहते हैं कि एक दिन न धन रहेगा, न यौवन ही साथ होगा। घर भी छूट जाएगा, रहेगा तो अपना यश, यह तभी संभव है कि हमने किसी का काम किया हो।

परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई करना। परोपकार के समान कोई धर्म नहीं है। परोपकार ऐसा कार्य है, जिससे शत्रु भी मित्र बन जाता है। यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए तो वह भी सच्चा मित्र बन सकता है।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अजरुन से कहते हैं कि शुभ कर्म करने वालों का न यहां और न ही परलोक में विनाश होता है। शुभ कर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है। सच्चा परोपकारी वही व्यक्ति है जो प्रतिफल की भावना न रखते हुए परोपकार करता है। एक बार एक संत आम के पेड़ की छाया में आराम कर रहे थे, तभी कुछ बच्चे आम तोड़ने के लिए पेड़ की ओर पत्थर फेंकने लगे।
इसी बीच एक पत्थर संत के सिर पर लगा और खून बहने लगा। अब बच्चों को यह डर सताने लगा कि अब संत उन्हें श्राप देंगे। इस डर से बच्चे वहां से भागने लगे, लेकिन संत ने उनको अपने पास बुलाया और कहा, तुमने वृक्ष पर पत्थर मारा और उसने तुम्हें आम खाने को दिए, लेकिन मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दे पा रहा हूं। संत की परोपकार की भावना सुनकर बच्चे उनके आगे नत्मस्तक हो गए। असल में, सूर्य, चंद्रमा, वायु, अग्नि, जल, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधे आदि सभी मानव कल्याण में लगे रहते हैं। ऐसे में हर मानव का भी कर्तव्य है कि वह दूसरों के काम आए। उक्त बात आज सुबह सुसनेर से झालरापाटन के लिए विहार पर नंगे पैर निकले आचार्य श्री प्रज्ञासागर महाराज ने गणेशपुरा से आगे इंदौर कोटा राजमार्ग पर संतो के विश्राम हेतु बनाए जा रहे संत निवास पर पौधारोपण कार्यक्रम के पूर्व उनको वहां तक छोड़ने के लिए सुसनेर से साथ आये पूर्व विधायक राणा विक्रमसिंह, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि राहुल सिसोदिया, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि राकेश जैन खुपवाला, भाजपा मंडल उपाध्यक्ष दिलीप जैन सारँगयाखेड़ी, शैलेन्द्र सिंघई, भूपेंद्र सांवला, त्रिमूर्ति मन्दिर समिति अध्यक्ष महावीर जैन सालरिया, पार्षद प्रतिनिधि जितेंद्र सांवलाया, मुकेश चौधरी, विनोद जैन, राकेश जैन, कपिल लुहाड़िया सहित सैकड़ो लोगो की उपस्थिति में कही।














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