सतगुण बढ़ाने का श्रेष्ठ साधन गोमाता ही हैं– स्वामी गोपालानंद सरस्वती

राजेश माली सुसनेर

सतगुण बढ़ाने का श्रेष्ठ साधन गोमाता ही हैं– स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर। जनपद पंचायत सुसनेर के समीपस्थ ग्राम सालरिया में स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए 09 अप्रेल 2024 से चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 23 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को संबोधित करते हुए ग्वाल सन्त स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने *धेनु कृपा से सतगुण आएं,वह मानव फिर सुर पुर जाएं* पद्य के माध्यम से बताया कि मनुष्य गो का संग करें तो उससे सतगुण बढ़ते है और सतगुण बढ़ते हैं तो उसे स्वर्ग की सहज प्राप्ति हो जाती है, नरक आदि लोकों में नहीं जाना पड़ता है। सतगुण बढ़ाने का श्रेष्ठ साधन गोमाता है। क्योंकि मनुष्य गो गव्य का उपयोग करें तो वह मनुष्य जीते जी देवता पुरुष बन जाता है और मरने पर उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती ही है।

स्वामीजी ने आगे बताया कि गाय मनुष्य पर बोझ नहीं है, गाय आनन्द की दाता है और जहां गाय बढ़ती है, वहां आनन्द बढ़ता है। क्योंकि इस संसार में केवल गाय ही ऐसा प्राणी है जिसे सभी लोकों में निर्बाध रूप से किसी भी समय किसी भी जगह विचरण करने का अधिकार है ।स्वामीजी ने बताया कि अगर गौ दुखी है। तो सारे काम छोड़कर सबसे पहले उस गो के कष्ट मिटाना चाहिए और विशेष रूप ने एक नन्दी की कसाइयों से जान बचाएं तो उस व्यक्ति को एक नन्दी बचाने का पुण्य 100गोमाता के दान के पुण्य के बराबर है मिलता है। क्योंकि बैल को पिता के समान माना है और जो उस धर्म रूपी नन्दी को दुखी करता है उस व्यक्ति की सात पीढ़ियां नरक की गामी होती है और जो उसको बचाने में सहभाग करता है उस व्यक्ति की सात पीढ़ियां गोलौक में निवास करती है।

स्वामी जी ने आगे बताया कि इस धरा धाम पर जिस दिन गोमाता नहीं बचेगी उस दिन धरती पर प्रलय आ जाएगा क्योंकि गाय माता के नहीं होने से देवी सम्पदा घट जाती है ,इसलिए जगत के कल्याण के लिए हम सभी को गोमाता की सेवा करना चाहिए क्योंकि इस भूतल में ऊर्जा की खान भगवती गोमाता ही है।

*23 वें दिवस पर चूनड़ी यात्रा उज्जैन जिले जिले के टिपुखेड़ा ग्राम की ओर से* :-

 एक वर्षीय गोकृपा कथा के 23 वें दिवस पर उज्जैन जिले की झारड़ा तहसील के टिपुखेडा ग्राम से जीवनसिंह पटेल, शंकरलाल पंडित, गोकुलसिंह, बंशीलाल, गबसिंह, गोभक्त सरपंच नारायणसिंह, विजयसिंह, दशरथसिंह, मोहन नाथ, पुरसिंह, ईश्वर सिंह,बद्रीसिंह एवं ईश्वर सिंह सहित टिपुखेड़ा ग्राम के सैंकड़ों माता बहिनों एवं समाज के प्रमुखों के साथ परिवार सहित सभी भगवती गोमाता जी के लिए भंडारा लेकर अभयारण्य पधारे और सभी ने कथा मंच पर पहुंचकर भगवती गोमाताजी को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजन एवं आरती एवं गो पुष्टी यज्ञ किया और पूज्य स्वामी गोपालानंद महाराज ने गोमाता की छवि देकर उनको आशीर्वाद दिया और अंत में सभी ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर गोशाला में सेवा कार्य कर उसके बाद सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया

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