जाना था नानाखेड़ा, पहुंच गई नलखेड़ा, फिर कोलकाता की ट्रेनी पायलट का बदला मन, कर बैठी अजीब फैसला
सुसनेर-नलखेड़ा। कहते हैं भगवान जब भक्त को बुलाते है तब ही भक्त को दर्शन हो पाते है मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के नलखेड़ा कस्बे में नवरात्री पर माता की भक्ति की एक रौचक कहानी सागने आई है। दरअसल, यहां एक ट्रेनी पायलेट अचानक उज्जैन के नानाखेड़ा की जगह नलखेड़ा पहुंच गई और माता की भक्ति में रम गई।
सुसनेर अनुविभाग के नलखेड़ा में स्थित क्षेत्र का प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ मां बगलामुखी मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है। भक्तों का मानना है कि सभी मनोकामनाओ की पूर्ति यहां होती है, दुखों का निवारण यहां होता है. मां सभी को बुलाती तो भक्ति के आगे सीमाएं छोटी पड़ जाती है. पांडवकालीन इस मंदिर से जुड़ा आस्था का ऐसा ही एक किरसा इन दिनों नजर आया है।
कोलकाता निवासी एक ट्रेनी पायलेट कोमल ने बताया कि वह बीते दिनों अपनी मां के साथ उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आई थी। दर्शन के बाद वापस उज्जैन के नानाखेड़ा में स्थित अपने होटल में लौटने के लिए टैक्सी में बैठी। टैक्सी वाले से अचानक गलती से नानाखेड़ा जाने का बोलने की बजाय मुंह से नलखेड़ा निकल गया. नलखेड़ा सुनकर टैक्सी वाले ने बताया कि वह तो 100 किमी दूर है और वहां प्रसिद्ध मां बगलामुखी माता का मंदिर स्थित है।
कोमल के अनुसार वह बचपन से धार्मिक प्रवत्ति की रही है. 2 दिन बाद नवरात्री शुरू होने वाली थी तो फिर उसने सोचा कि जब मुंह से अचानक नलखेड़ा निकल गया है तो एक बार प्रसिद्ध माता के दर्शन कर लेना चाहिए. उसके बाद कोमल सीधे नलखेड़ा पहुंच गई और मां के दर्शन के बाद मां की भक्ति में ऐसी रमी की नवरात्र के 9 दिनों के लिए वहीं रुक गई।
नवरात्री के बीते 9 दिनों से कोमल मंदिर परिसर में भक्ति और सेवा करती हुई दिखाई दे रही है। वह अखंड ज्योत जलाकर घंटों माता का ध्यान और पूजन कर रही है तो वहीं बाकी समय मंदिर परिसर में चल रहे विशाल भंडारे में भोजन परोसने में अपनी सेवाएं दे रही है। पहली बार नलखेड़ा पहुंची कोमल के अनुसार मां के दर्शन के बाद उसे जो अलौकिक अनुभव हुआ उसे वह शब्दों में बता नहीं सकती। अब वह हमेशा समय मिलने पर मंदिर में दर्शन के लिए आती रहेगी।
Leave a Reply