आज श्रीराम नवमी पर विशेष :श्रीरामनवमी पर सफल सिद्ध सरल प्रयोग – पंडित विजय शर्मा
सुसनेर। आज बुधवार 17 अप्रेल को श्री रामनवमी है। इस बार श्री रामनवमी विशेष इसलिए है कि विगत महिनों अयोध्या में प्रभु श्री रामलला के विग्रह की प्राण- प्रतिष्ठा हुई है और आगामी श्री रामनवमी पर देश-विदेश में विशेष आयोजन होने वाले हैं। आपके द्वारा भी इस बार श्री रामनवमी पर किए जा सकने वाले सफल सिद्ध सरल प्रयोग संक्षेप में स्थानीय सोयत पर स्थित श्री चिंताहरण हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित विजय शर्मा द्वारा बताए गए है जिनमे आप इस बार श्रीराम नवमी पर प्रभु श्रीराम व माता सीता के मंदिर में उनका केसर मिश्रित गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें। ऐसा करना धन लाभ की दृष्टि से शुभ माना गया है।
प्रभु श्री राम जी के मंदिर में उनकी पूजा उपरांत मंदिर के शिखर हेतु केसरिया ध्वज अर्पित करें। ऐसा करना अनेक समस्याओं से मुक्ति हेतु शुभ माना गया है।
प्रभु श्री राम जी के मंदिर में उनकी पूजा उपरांत उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें क्योंकि प्रभु श्री विष्णु जी को पीतांबर धारी माना गया है एवं प्रभु श्री राम जी उन्हीं के अवतार हैं। बाद में ये वस्त्र पुजारी जी को भेंट करें। ऐसा करना सुख-समृद्धि हेतु शुभ माना गया है।
प्रभु श्री राम जी के मंदिर में या यह संभव नहीं है तो अपने घर के देवस्थान में श्री राम के चित्र के समक्ष केसर मिश्रित गाय के दूध से निर्मित खीर का भोग लगाएं। बाद, इसे प्रसाद रूप में वितरित करें। ऐसा करना पारिवारिक प्रगति हेतु शुभ माना गया है।
प्रभु श्री रामजी के मंदिर में या यह संभव नहीं है तो अपने घर के देवस्थान में श्री रामजी के चित्र के समक्ष निम्न मंत्र का तुलसी की माला से पांच माला जाप करें। “श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे। हांसहस्त्रनाम तत्तुल्यं, राम नाम वरानने।।” ऐसा करना सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु शुभ माना गया है।
और अंत में******* गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने श्री रामचरितमानस के बालकांड में एक छंद में श्री रामअवतार स्तुति वर्णित की है । श्री रामनवमी के अतिरिक्त किसी भी नवमी तिथि पर इसके पाठ से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । इसका प्रारंभिक भाग यहां प्रस्तुत है-
“भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला, कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत् रूप बिचारी।।अर्थात् ,दीनों पर दया करने वाले, कौसल्या के हितकारी, कृपालु प्रभु प्रगट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले, उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई।
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