अत्यधिक कंप्यूटर वर्क वा अव्यवस्थित दिनचर्या से बढ़ रहा है फ्रोजन शोल्डर रोग का खतरा बचाव में करे योग प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
फ्रोजन शोल्डर या एडहेसिव कैप्सुलाइटिस कंधे के जोड़ में होने वाला एक दर्दनाक एवं जकड़न वाला रोग है, जिसमें कंधे की गतिशीलता धीरे-धीरे कम होती जाती है। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि यह बीमारी आमतौर पर 40–70 वर्ष की आयु के लोगों में अधिक पाई जाती है और महिलाओं में इसकी संभावना थोड़ी अधिक होती है। लेकिन वर्तमान समय में अवस्थित दिनचर्या और लगातार कंप्यूटर वर्क के कारण यह बीमारी सभी आयु वर्ग के लोगों में आम हो गई है,फ्रोजन शोल्डर कंधे में एक विशेष प्रकार की कैप्सूल होती है जो जोड़ को ढककर उसकी सुरक्षा करती है। फ्रोजन शोल्डर में यह कैप्सूल सूजकर मोटी हो जाती है और इसके अंदर चिपकने (adhesion) बनने लगते हैं। जिसके परिणामस्वरूप कंधा हिलाना मुश्किल हो जाता है,धीरे–धीरे दर्द फिर पूरी तरह जकड़न होने लगती है, वैज्ञानिक रूप से इसे Inflammation of Shoulder Joint Capsule कहा जाता है, जहाँ सूजन और फाइब्रोसिस के कारण मूवमेंट रुक जाता है। फ्रोजन शोल्डर होने के कई कारण होते हैं जिसमें, 1.सूजन- (Inflammation) किसी चोट, ऑपरेशन या लंबे समय तक हाथ न हिलाने पर जोड़ों में सूजन होती है जिससे कैप्सूल सिकुड़ जाती है। 2 डायबिटीज (Diabetes Mellitus) शुगर बढ़ने से शरीर की कोलेजन फाइबर टाइट होने लगती है। शोध बताते हैं कि डायबिटीज वाले लोगों में फ्रोजन शोल्डर का जोखिम 3–5 गुना अधिक है। 3 हार्मोनल असंतुलन- थायरॉइड विकार (Hypothyroidism/Hyperthyroidism) और बढ़ी उम्र में होने वाले हार्मोनिक परिवर्तन कैप्सूल को प्रभावित करते हैं। 4गर्दन की समस्या (Cervical Spondylosis) सर्वाइकल नसों पर दबाव पड़ने से कंधे की मांसपेशियाँ कमजोर होकर जकड़ने लगती हैं।5 लंबे समय तक कंधे का एक ही स्थिति में रहना जैसे—फ्रैक्चर के बाद हाथ को बेल्ट में बांधना बहुत समय तक कंप्यूटर पर एक ही मुद्रा में बैठना, फ्रोजन शोल्डर का असर केवल कंधे तक सीमित नहीं,बल्कि पूरे जीवन-व्यवहार पर पड़ता है, 1.दैनिक कार्यों में बाधा, कपड़े पहनना, 2.नींद में बाधा रात में दर्द अधिक होने से नींद नहीं आती, जिससे तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है 3.मांसपेशियों की कमजोरी कम मूवमेंट के कारण कंधे और बाजू की मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं 4.गर्दन और पीठ का दर्द कंधे का सहारा शरीर को संतुलित रखता है, इसकी जकड़न से गर्दन और पीठ में भी तनाव उत्पन्न होता है।5.कामकाज प्रभावित कई लोगों में यह स्थिति महीनों या वर्षों तक चलती है,जिससे कार्य क्षमता कम होती है। फ्रोजन शोल्डर में योग की महत्वपूर्ण भूमिका (Scientifically Supported) है योग कंधे के जोड़ को धीरे-धीरे खोलने, मांसपेशियों को लचीला करने और सूजन कम करने में अत्यंत प्रभावी पाया गया है। मेडिकल स्टडी में पाया गया कि योग— रक्त संचरण बढ़ाता है, एंडोर्फिन रिलीज करता है सूजन (inflammation) कम करता है, जकड़न खोलकर जोड़ की mobility बढ़ाता है, ताड़ासन – कंधे की मांसपेशियों को री-एलाइन करता है जिससे जकड़न होती हैं, गर्दन एवं शोल्डर रोटेशन से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, stiffness खोलता है गोमुखासन (हाथों का अभ्यास) कंधे की कैप्सूल को धीरे-धीरे स्ट्रेच करता है। सूक्ष्म व्यायाम हाथ ऊपर–नीचे आगे–पीछे साइड मूवमेंट Physiotherapy जैसे gentle mobilization योग में सबसे प्रभावी माने जाते हैं। पश्चिम नमस्कार (Reverse Prayer Pose कंधे की tight internal rotation को सुधारता है। दीवार सहारा स्ट्रेच (Wall Crawling Exercise) हाथ को दीवार पर धीरे-धीरे ऊपर ले जाना, अत्यधिक उपयोगी। भुजंगासन (हल्का उठाव) कंधों को खोलता है और पीठ को मजबूत करता है। श्वसन प्राणायाम अनुलोम विलोम दीर्घ श्वसन इनसे दर्द कम करने वाले हार्मोन रिलीज होते हैं, तनाव घटता है, हीलिंग तेज होती है। फ्रोजन शोल्डर रोग में योग के कई लाभ देखे गए हैं,मांसपेशियों के टिश्यू में ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ती है, सूजन एवं fibrosis कम होती है, Shoulder capsule की elasticity बढ़ती है, Nervous system आराम पाने से pain, signals कम होते हैं,नियमित अभ्यास से range of motion (ROM) बढ़ती है,फ्रोजन शोल्डर एक धीमी लेकिन कष्टदायक बीमारी है, परंतु सही समय पर उपचार, जीवनशैली में सुधार और नियमित योगाभ्यास से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। योग न केवल दर्द और जकड़न को कम करता है, बल्कि कंधों की शक्ति और लचीलापन वापस लौटाने में प्राकृतिक, सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तरीका है।नियमित अभ्यास, धैर्य और सही योग तकनीक से इस रोग से मुक्ति दिलाने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं।
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