गौमाता चलित मंदिर, उसके हर अंग में 33 कोटि देवता, जिसने गौमाता का दूध पिया उस पर गौ-ऋण है गौ-सेवा ही सबसे बड़ा ऋणमोचन और धर्म का आधार है– कथावाचक अनमोल श्री दीदी

राजेश माली सुसनेर

गौमाता चलित मंदिर, उसके हर अंग में 33 कोटि देवता, जिसने गौमाता का दूध पिया उस पर गौ-ऋण है गौ-सेवा ही सबसे बड़ा ऋणमोचन और धर्म का आधार है– कथावाचक अनमोल श्री दीदी

सुसनेर। जनपद पंचायत सुसनेर के समीपस्थ ग्राम नाहरखेड़ा में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक अनमोल श्री के मुखारविंद से आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को एक अत्यंत महत्वपूर्ण, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रसंग गौमाता की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया। कथावाचक अनमोलश्री ने गौमाता को केवल एक पशु नहीं, बल्कि पृथ्वी पर विचरण करने वाले साक्षात देवस्थान के रूप में स्थापित किया।

तीर्थों का संगम और 33 कोटि देवताओं का निवास

कथा व्यास अनमोल श्री ने गौमाता के दैवीय स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि गौमाता के शरीर में तैंतीस कोटि (33 करोड़) देवी-देवताओं का वास होता है। उन्होंने कहा,

“गौमाता की पीठ में ब्रह्मा, गले में विष्णु, मुख में रुद्र और उनके चारों पैर चारों वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं। गौमाता वास्तव में इस पृथ्वी पर विचरण करने वाला एक चलित मंदिर हैं। जिस घर में गौमाता का निवास होता है, वह घर स्वयं एक तीर्थ बन जाता है।”

पंचगव्य: धर्म, अर्थ और आरोग्य का आधार

पूज्य श्री जी ने गौमाता से प्राप्त होने वाले पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र) की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गौ-घृत (घी) के बिना कोई भी यज्ञ सफल नहीं होता और यह पंचगव्य मानव जीवन में केवल आरोग्य ही नहीं, बल्कि धार्मिक क्रियाओं का भी आधार है।

उन्होंने भावुक होकर कहा, “माता हमें जन्म देकर केवल कुछ समय तक दूध पिलाती हैं, लेकिन गौमाता जीवन भर अपने दूध से पोषण देती हैं। इसलिए हम सभी पर गौमाता का गौ-ऋण है।” उन्होंने जोर दिया कि गौ-सेवा करना हमारा सांस्कृतिक, धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है।

गौ-सेवा ही सबसे बड़ा ऋणमोचन

पूज्य अनमोल श्री जी ने भक्तों को गौमाता की वर्तमान स्थिति के प्रति सचेत करते हुए गौ-रक्षा और गौ-सेवा का संकल्प लेने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “जहाँ गौमाता का सम्मान होता है, वहाँ लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं। जो व्यक्ति गौसेवा करता है, वह न केवल अपने गौ-ऋण से मुक्त होता है, बल्कि वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – इन चारों पुरुषार्थों को भी प्राप्त करता है।”

गौमाता की महिमा सुनकर कथा पंडाल में मौजूद सैकड़ों भक्तों ने गौमाता को प्रणाम किया और गौसेवा करने का संकल्प लिया। आयोजन समिति ने बताया कि कल कथा में भगवान की अन्य लीलाओं का श्रवण कराया जाएगा।

चित्र 01 : ग्राम नाहरखेड़ा में भागवत कथा सुनाती कथावाचक अनमोल श्री दीदी।

चित्र 2 व 3 : भागवत कथा में उपस्थित श्रोता।

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