राजेश माली सुसनेर
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में सैकड़ो सालों बाद पहली बार शिखर पर होगा लाखो का स्वर्ण कलश स्थापित , कभी जीर्णशीर्ण परिसर में पीपल के नीचे विराजते थे हनुमानजी, अब बन चुका है भव्य मंदिर*

*सुसनेर नगर की मोक्ष दायिनी कंठाल नदी और इतवारीया श्मशान के किनारे स्थित नगर कोट की दीवारों से घिरा नगर का खेड़ापति हनुमान मंदिर मठ नगर स्थापना से पहले का होकर कई सालों पुराना है। श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर मठ समिति के अध्यक्ष रामसिंह काँवल एवं वरिष्ठ सदस्य टेकचंद गहलोत, गोविंद राठौर, संजय तिवारी एवं रामु सोनी ने बताया कि करीब एक हज़ार ज्यादा वर्ष पुराने इस मंदिर में जन सहयोग से पहली बार साढे सात लाख की लागत से निर्मित स्वर्ण कलश की स्थापना आगामी 16 नवम्बर से 20 नवम्बर तक चलने वाले स्वर्ण कलश प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के माध्यम से विधि विधान एवं हवन, यज्ञ, पूजा एवं महाआरती के साथ कि जाएगी। साथ इस अवसर पर पूरे क्षेत्र के हनुमान भक्तों का अन्न कूट महोत्सव भी प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी इसी अवधि में सम्पन्न होगा*

* *इस मंदिर का सेवा कार्य करने वाले गिर परिवार की 15 वीं पीढ़ी के दीपक गिर बताते हैं कि यह मंदिर पहले नगर की सीमा से बाहर होकर हनुमान गढ़ी था, जो उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए मठों में से एक है। पहले जीर्णशीर्ण परिसर में हनुमानजी विराजते थे। अब इस स्थान पर भव्य मंदिर बन चुका है*

*नगर के इतिहासकार 82 वर्षीय रामप्रताप भावसार सुसनेरी बताते हैं- जैसा उन्होंने सुसनेर के इतिहास में उल्लेख किया उसके अनुसार आज से आठ दशक पूर्व जीर्णशीर्ण परिसर में एक पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान प्रतिमा स्थित थी। साथ ही आम, शहतूत, जामुन, बिल्बपत्र, पीपल के पेड़ मौजूद थे। पीपल के पेड़ के नीचे से ही निकले पीपलेश्वर महादेव है। पीपल का पेड़ तो खत्म हो गया लेकिन जीर्णोद्धार के बाद आज भी कई पेड़ों को संरक्षित रखा हुआ है। प्राचीन समय में साधु-संतों का ठहराव का स्थान रहे इस मंदिर में धुनी भी है। मंदिर की देखरेख पहले गिर परिवार के पास थी लेकिन अब ट्रस्ट इसका संचालन करता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष रामसिंह कांवल के अनुसार मंदिर काफी प्राचीन है। इसकी प्राचीनता का अंदाजा तो उन्हें नहीं लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी ट्रस्ट संभालता है। मंदिर के पीछे खोखली माता का स्थान है जिसकी मान्यता है कि यहां कि मिट्टी से खांसी की बीमारी खत्म होती है*
*एक-एक रुपया जोड़ किया मंदिर जीर्णोद्धार*












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