ईद-उल-फितर की तैयारियों को लेकर सीएमओ ने किया ईदगाह का निरीक्षण

राजेश माली सुसनेर

ईद-उल-फितर की तैयारियों को लेकर सीएमओ ने किया ईदगाह का निरीक्षण

सुसनेर। मंगलवार को मुख्य नगर पालिका अधिकारी ओपी नागर ने स्थानीय इतवारीया क्षेत्र में स्थित ईदगाह स्थल पर जाकर मुस्लिम समाज के त्योहार ईद उल फितर की तैयारियों को स्वच्छता, जल एवं अन्य कार्यो की व्यवस्था की जानकारी ली। इस अवसर पर उन्होंने ईद उल फितर की तैयारियो लेकर नगर परिषद के स्वच्छता दरोगा मोनू कलोसिया एवं राजू मेट को आवश्यक निर्देश भी दिए।

कब है ईद उल फितर

सऊदी अरब के एक दिन बाद भारत में ईद मनाई जाती है। हालांकि सऊदी अरब में सोमवार 8 अप्रैल को चांद तो नहीं दिखा। लेकिन वहां 10 अप्रैल 2024, बुधवार के दिन ईद मनाने का फैसला ले लिया गया है। इसलिए भारत में इसके एक दिन बाद यानी कल 11 अप्रैल 2024, गुरुवार के दिन ईद का त्योहार मनाया जाएगा।

इस्लाम धर्म में ईद-उल-फितर यानी ईद के पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व पवित्र माह रमज़ान के समापन के साथ चांद दिखने के बाद मनाया जाता है। इसे मीठी ईद भी कहा जाता है। इस पर्व को मुस्लिम समुदाय के लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाईयां देते हैं। बता दें कि इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार, शव्वाल (10वां महीना) महीने के पहले दिन ईद का पर्व मनाया जाता है। जानें इसका महत्व…

 

ईद को रोज़ा के पूरे होने का प्रतीक माना जाता है। पाक माह रमज़ान में मुस्लिम समुदाय के लोग 29 या फिर 30 रोज़े रखते हैं और फिर चांद का दीदार करके रोज़ा का समापन करते हैं। ईद-उल-फितर खुशियों का त्योहार होता है। इस दिन मीठी सेवइयां बनाने के साथ नए-नए कपड़े पहनते हैं। फिर अल्लाह की इबादत करके फितरा देते हैं। फितरा को रोज़े का सदका माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के 10वें शव्वाल की पहली तारीख और रमजान के आखिरी दिन चांद का दीदार करने के बाद ही ईद-उल-फितर मनाया जाता है। ईद की सही तारीख का ऐलान चांद का दीदार करने के बाद मुकर्रर की जाती है। पूरे देश का सुसनेर में भी ईद का पर्व 11 अप्रैल को मनाया जाएगा। अगर चांद नज़र नहीं आया, तो एक दिन घट या फिर बढ़ सकता है।

धनलाभईद-उल-फितर का महत्व

इस्लाम धर्म में ईद का त्योहार बेहद खास माना जाता है। इस दिन अल्लाह को शुक्रिया अदा जाता है और फिर एक-दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसे छोटी ईद या मीठी ईद भी कहा जाता है। इस पर्व को त्याग और सद्भावना का प्रतीक माना जाता है।

समयईद पर ‘फितरा’ का महत्व

ईद-उल-फितर में अल्लाह की इबादत करने के साथ-साथ फितरा करने का भी विशेष महत्व है। ज़कात की तरह ही ईद के दिन ज़कात अल-फ़ितर किया जाता है। जहां ज़कात में पैसे, सोने आदि का ढाई प्रतिशत दान किया जाता है। वहीं, फितरा की बात करें, तो इसमें सवा दो किलो गेहूं या फिर उसके बराबर पैसे दिए जाते हैं। आप चाहे, तो इससे भी ज्यादा फितरा कर सकते हैं। इस फितरे को गरीबों, विधवाओं या फिर जरूरतमंदों को दी जाती है।

चित्र : सुसनेर नगर परिषद सीएमओ ओपी नागर ईदगाह पर तैयारियों लेकर निर्देश देते हुए।

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