पाषाण और एफआरपी का खेला…100 सालों की ग्यारंटी की पोल सात माह में ही खुली ….लोकायुक्त की जाँच भी सही और भृष्टाचार के आरोप भी

इरफ़ान अंसारी SJ न्यूज़ एमी उज्जैन

लोकायुक्त की जाँच भी सही और भृष्टाचार के आरोप भी…????

तड़तड़ी….

पाषाण और एफआरपी का खेला…

100 सालों की ग्यारंटी की पोल सात माह में ही खुली ….

लोकायुक्त की जाँच भी सही और भृष्टाचार के आरोप भी…????

कहते हैं हक़ीकत को कितने ही ताबूतों में दफ़्न कर दो या कितनी ही दीवारों में चुनवा दो वो बाहर आ कर ही रहती है। रविवार को इसकी बानगी उस वक्त देखने को मिली जब महाकाल लोक में तेज हवाओं आँधी ने भृष्टाचार के आरोपों को साबित करके पोल खोल के रख दी। इस मामले में लोकायुक्त जाँच भी चल रही है जिसे भी बल मिला है।

करोड़ों में व्यारे न्यारे….

महाकाल लोक का लोकार्पण सात माह पूर्व ही देश के प्रधान माननीय नरेंद्र मोदी के कर कमलों से 11 अक्टूबर 2022 को हुआ था और महाकाल लोक में लगी सप्त ऋषियों की सात में से छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं। किसी की गर्दन तो किसी के हाथ पैर किसी का सिर धड़ से अलग हो गया। शाम चार के करीब हवा आँधी का कहर ऐसा बरपा की महाकाल लोक की करोड़ों की इन मूर्तियों में हुए भृष्टाचार की पोल खोल के रख दी। क्योंकि दावे किए जा रहे थे कि ये मूर्तियाँ सालों साल जैसी हैं वैसी ही रहेंगी। लेकिन ये तो सालभर से पहले ही टूटने फूटने के साथ हवा में उड़ गईं।

मूर्तियों की गुणवक्ता पर पहले ही उठाए थे सवाल…

आप सुधि पाठकों में से ही कई पाठकों ने हमें फोन करके याद दिलवाया कि हमने अनावरण से पहले ही महाकाल लोक की मूर्तियों की गुणवत्ता के बारे में लिख दिया था और वही हुआ भी। हमारे उन सुधि पाठकों का धन्यवाद। लेकिन महाकाल लोक के प्रधानमंत्री के द्वारा उद्घाटन के पूर्व ही मूर्तियों का रंग रोगन उड़ने लगा था और इसकी खामियां भी उज़ागर होने लगी थी। जितने में ये मूर्तियां लगाई गईं है उससे बहोत कम में पाषाण (पत्थर) की मूर्तियां लग जातीं।

लागत और गुणवत्ता पर उठे सवाल सही साबित हुए…

इन मूर्तियों या यूं कहें कि लागत और गुणवत्ता पर सवाल तो पहले से ही उठने लगे थे। गुजरात की एमपी बावरिया कंपनी ने इन मूर्तियों का निर्माण फाइबर रेन फोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) से बनाया था। जिसकी असल और कागज़ी लागत में आ रहे अंतर पर सवाल उठे थे। तीन चरणों में पूर्ण होने वाले इस लोक के प्रथम चरण में 156 से अधिक देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हैं। जिनकी लागत 310 करोड़ बताई जा रही है। वहीं अगले दो चरणों का काम 778 करोड़ से होगा। लेकिन पहले चरण के कामों पर लग रहे भृष्टाचार के आरोपों को सही साबित करके रख दिया है।

विधानसभा में गूंजा मामला लोकायुक्त की जाँच में उलझा…

तराना विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक में हुए भृष्टाचार के मामले को विधानसभा में पहले ही उठाया था जहाँ मंत्री ने गोल मोल जवाब दे कर इतिश्री कर ली थी। इसके बाद विधायक परमार ने लोकायुक्त में इस भृष्टाचार की शिकायत की थी जिसमें तात्कालीन निगमायुक्त सहित पंद्रह अफसर जाँच की जद में आए हुए हैं। जो मुँह छिपा कर पेशी तारीख़ पर जाते हैं। हालांकि इस जाँच का अंत क्या होगा ये सर्वविदित है लेकिन जो हुआ है वो तो हुआ ही है। इस महाकाल लोक में कईयों के व्यारे न्यारे हो गए हैं।

हिन्दू हितैषी या विरोधी..????.

यहाँ ये भी ग़ौरतलब है कि स्मार्टसिटी के दोयमदर्जे के कामों की पोल खुल रही है। अभी सप्ताहभर पहले ही मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में कलकल करता बड़ा नाला हजारों गेलन गंदा पानी घण्टों तक नदी में बहाता रहा। वहीं दो दिन पहले मास्टर प्लान के जारी होने से सिंहस्थ क्षेत्र पर आवासीय होने की मोहर लगा कर सरकार ने अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है। जिससे साधु संतों में भी भारी आक्रोश है। समझ नहीं आ रहा हिन्दू हितैषी सरकार है या विरोधी।

जिम्मेदारों का तर्क….

इन मूर्तियों का निर्माण करने वाली एमपी बाबरिया कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय पटेल का कहना है कि तेज हवा के बवंडर ने मूर्तियों के अंदर के स्ट्रक्चर को तोड़ के रख दिया जिससे ये हुआ। उन्होंने ये माना कि मूर्तियों में माइल्ड स्टिल का ज्वाइंट कमज़ोर पड़ने से ऐसा हुआ। लेकिन अब स्टील के साथ कांक्रीट का उपयोग करेंगे।

आँधी है जिम्मेदार… जाँच काहे की…

इस मामले में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि आँधी के कारण मूर्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं इसमें जाँच की कोई जरूरत नहीं है। भविष्य में पत्थर की मूर्तियां लगनी हैं।
आप सुधि जल्वेदारों में से एक जल्वेदार….

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