हे पुण्य तीर्थ नगरी अवंतिका उज्जैनी हमें माफ़ करना हम भीरू डरपोक निकले….🙏

✍️जलवा🏹

तड़तड़ी….

🙏माफ़ी….माफ़ी….माफ़ी….🙏

हे पुण्य तीर्थ नगरी अवंतिका उज्जैनी हमें माफ़ करना हम भीरू डरपोक निकले….🙏

हे मोक्षदायिनी पुण्य सलिला माँ क्षिप्रा हमें माफ़ करना….क्योंकि हम तुझ में मिलने वाले नाले नालियों पर करोड़ों अरबों रुपये जिम्मेदारों को हज़म करते देखते रहे और हम कुछ नहीं कर पाए….🙏

हे सिंहस्थ भूमि हमें माफ करना….हममें इतनी हिम्मत नहीं रही कि देश के चार स्थानों में लगने वाले कुंभ में से उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ की भूमि को हम अर्थपिशाचों से नहीं बचा पाए और हम मौन सब कुछ देखते रहे….🙏

हे महाकाल हमें माफ करना हम आपके दरबार (मंदिर) को बड़ी दुकान बनते देखते रहे और यहाँ हो रही मनमानी पूर्ण वसूली और बदसलूकी को भी खुली आँखों से देखते रहे हमें माफ करना….🙏

हे सप्तऋषियों और देवी देवताओं हमें माफ करना हम आपके वंशज हम आपका अपमान होते देखते रहे और डरपोक बने देखते रहे….🙏

हे संस्कार,संस्क्रति, परंपरा, आस्था, विश्वास हमें माफ करना हम तुम्हें बचाने में असफल रहे….🙏

हम हिन्दू होकर भी हिन्दूवादी शासन में भयंकर रूप से असुरक्षित हैं…🙏

हम हिन्दू विभन्न आयोजनों पर इकठ्ठा हो कर जलसे जुलूस कर सकते हैं लेकिन अपने महाकाल,क्षिप्रा,सिंहस्थ और देवी देवताओं के अपमान पर मौन ही रहेंगे…🙏

सारे वादी संगठन संस्थाएं और आमजन सब ना देख पा रहे हैं…ना सुन पा रहे हैं और ना बोल पा रहे हैं….🙏

क़ानून क़ायदे कहाँ काफ़ूर हो गए हैं पता नहीं…लेकिन फिर भी हम मौन हैं….🙏

हे पवित्र धरा हमें माफ़ी दे दो….माफ़ी दे दो….🙏

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