सफलता की कहानी, अजीविका मिशन ने दिया मंच, रजनी दीदी ने लिखी आत्मनिर्भरता की कहानी, नर्सरी से लेकर जैविक खाद-दवाइयों तक, बनाई कमाई की नयी राह

रमाकांत वासुदेवराव मोरे बुरहानपुर

सफलता की कहानी, अजीविका मिशन ने दिया मंच, रजनी दीदी ने लिखी आत्मनिर्भरता की कहानी, नर्सरी से लेकर जैविक खाद-दवाइयों तक, बनाई कमाई की नयी राह

बुरहानपुर/03 दिसम्बर, 2025/- मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं के लिये एक मंच प्रदान करता है। जिला मुख्यालय बुरहानपुर से करीबन 19 किलोमीटर दूर ग्राम बसाड़ की रहने वाली रजनी वर्मा ने आजीविका मिशन से जुड़कर अपनी सोच को एक नयी दिशा दी। उनके जीवन में बदलाव की शुरूआत गांव में आजीविका समूह से महिलाओं को जोड़ने के लिए हुए सर्वे के दौरान हुई। सर्वे टीम ने रजनी दीदी की लगन और सीखने की ईच्छा को देखकर उन्हें कृषि सखी की ट्रेनिंग के लिए भोपाल भेजा। यही ट्रेनिंग उनके जीवन में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण कड़ी बनी।

साल 2018 में वे म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत सांईराम स्व सहायता समूह से जुड़ीं और समूह की अन्य दीदियों के साथ नर्सरी का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने जैविक खाद और जैविक दवाइयां बनाना भी सीख लिया। आज रजनी दीदी नर्सरी, खेती, पशुपालन के साथ-साथ फसल के लिये जैविक खाद-दवाईयाँ बनाने का कार्य भी खुद देखती है।

*‘‘स्वदेशी जैविक खाद’’ मिट्टी और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी*

रजनी दीदी बताती हैं कि रासायनिक खादों से मिट्टी और स्वास्थ्य दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसी सोच के साथ उन्होंने जैविक खाद बनाना शुरू किया। खाद बनाने के लिए वे बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी, नीम के पत्ते, पाला और गाय का गोबर एक गड्ढे में डालकर मिट्टी से ढक देती हैं। लगभग 45 दिन के बाद यह मिश्रण अच्छी गुणवत्ता के खाद का रूप ले लेता हैं। रजनी दीदी को 4-5 क्विंटल खाद बनाने में 10 से 12 हजार रुपये का खर्च आता है। तैयार उत्पादों को वे “स्वदेशी जैविक उत्पाद” नाम से बेचती हैं।

*जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है रजनी दीदी*

रजनी दीदी सिर्फ खाद बनाकर उनका विक्रय ही नहीं करती बल्कि वे आसपास के गांवों, जैसे मोहम्मदपुरा, जैनाबाद, पातोंडा, फतेपुर में जाकर किसानों को जैविक खेती के फायदे बताती हैं और उन्हें खाद बनाने की जानकारी भी देती है।

*आजीविका मेला सहित अन्य आयोजनों में उत्पादों का विक्रय*

रजनी दीदी आजीविका मेले और अन्य आयोजनों में भी अपने उत्पादों का विक्रय करती है। रजनी दीदी ने बताया कि, भोपाल में आयोजित आजीविका मेला में उन्होंने सिर्फ दो दिन में ही 9 हजार से अधिक मूल्य का जैविक खाद और जीवामृत का विक्रय किया। वे उत्पादों के 250 ग्राम, 500 ग्राम और 1 किलो के पैकेट्स तैयार करती है।

*जैविक दवाइयों का भी सफल उत्पादन*

खाद के साथ-साथ रजनी दीदी जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र जैसी जैविक दवाइयाँ भी बनाती हैं। इसके लिए वे नीम के पत्ते, संतरे के छिलके, छाछ, गौमूत्र और घी जैसी प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल करती हैं। इस कार्य से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। रजनी दीदी ने बताया कि, वे एक माह में रूपये 20 से 25 हजार से अधिक कमा लेती है।

*मिली सपनों को उड़ान*

  रजनी दीदी निरंतर अपने सपनों को उड़ान देते हुए आगे बढ़ रही है। अपनी कार्य-योजना के अनुसार उन्होंने एक नयी यूनिट की स्थापना जिला मुख्यालय के मोहना संगम पर की है। मोहना संगम यूनिट में वह सहयोगी दीदी के साथ कार्य कर रही है।

रजनी दीदी ने बताया कि, उनकी यूनिट में गौमूत्र से अर्क तैयार किया जाता है, जो जैविक खेती के लिए अत्यंत लाभदायक है। उपकरणों के सहयोग से गौमूत्र अर्क बनाने की प्रक्रिया आसान है। रजनी दीदी कहती है कि, उपकरण में एक बार में 25 लीटर गौमूत्र डाला जाता है, जिसे फ़िल्टर होने में लगभग एक दिन का समय लगता है। फ़िल्टरिंग के बाद लगभग 15 लीटर शुद्ध गौमूत्र प्राप्त होता है।

गौमूत्र अर्क एक प्राकृतिक कीटनाशक के तौर पर उपयोग करने से फसलों पर लगने वाले कीड़े एवं फंगस से बचाव करता है। वहीं पौधों की अच्छी ग्रोथ में भी मददगार साबित होता है। इसका उपयोग बीज उपचार के लिये भी किया जाता है।

*अवशेषों का भी बखूबी इस्तेमाल*

उन्होंने यह भी बताया कि फ़िल्टरिंग के बाद बचने वाले सफेद रंग के अवशेष का भी उपयोग गोबर में मिलाकर उपले बनाने में किया जाता है। इन उपलों का प्रयोग हवन सामग्री आदि में होता है। उन्हें गौमूत्र उर्क एवं जैविक दवाओं के लिये समय-समय पर ऑर्डर मिलते है, जिससे उनकी आमदनी अच्छी-खासी होती है। वें जिले की लखपति दीदीयों में से एक है।

*प्रेरणादायक कहानी*

दीदी रजनी वर्मा की कहानी बताती है कि, सफलता के लिए बड़ी-बड़ी डिग्रियां नहीं, बल्कि प्रबल ईच्छाशक्ति, मेहनत और सही दिशा जरूरी होती है। आज वे अपने गांव और आसपास की महिलाओं और किसानों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। आजीविका मिशन अंतर्गत बुरहानपुर जिले में 3 हजार 924 स्व सहायता समूह गठित है, जिसमें 11 हजार 301 लखपति दीदीयां शामिल हैं।

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