पांगरी बांध प्रभावित किसानों का अर्ध जलमग्न आंदोलन

रमाकांत वासुदेवराव मोरे बुरहानपुर

पांगरी बांध प्रभावित किसानों का अर्ध जलमग्न आंदोलन “

पांगरी बांध प्रभावित किसानों ने आज 30 नवंबर को उतावली नदी पर अर्ध जलमग्न आंदोलन कर सरकार से निवेदन किया की ” भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार न्याय संगत मुआवजा हमें मिलना चाहिए जो कि हमारा अधिकार है ” बहुत बड़ी संख्या में किसानों ने शांतिपूर्ण आंदोलन कर सरकार को आगाह किया । इस आंदोलन कि अगुवाई कर रहे डॉ रवि कुमार पटेल ने कहा कि हमारे मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर गरीब,आदिवासी,किसानों का शोषण किया जा रहा है, यह अनुचित है और हम ऐसे किसी भी अतिवादी ताकत को सत्याग्रह कर सही राह में लाएंगे । ज्ञात हो कि किसानों ने भुमि अधिग्रहण कानून के अनुसार भूमि के मुल्य निर्धारण कि मांग की अगर सरकार एक गुना मुआवजा देती है तो शहर के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए और अगर शहर के अनुसार मुआवजा नहीं देती है तो ग्रामीण क्षेत्र के लिए दो गुना मुआवजा का प्रावधान है वह मिलना चाहिए ” खकनार तहसील के पांगरी नागझिरी एवं बसाली तीन गांव के लोगों के 287 हेक्टेयर के भूमि इस बांध के डुब क्षेत्र में जानी है जिसमें डेढ़ हजार किसान प्रभावित हो रहे हैं । यह बुरहानपुर जिले का सबसे बड़ा बांध है जिसमें 4,400 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी ।

किसान यह पिछले 3 वर्षों से सरकार को समय-समय पर आंदोलन का निवेदन कर करते आए हैं मगर सरकार ने इनकी बातों को सदा से अनसुना किया है । डॉ पटेल ने आगे कहा कि पर्यावरण प्रभाव आकलन नहीं किया गया है जो अनिवार्य रुपेन किया जाना चाहिए था पुरे जिले गरीब किसानों कि भुमी सरकार ने औने-पौने दाम खरीदीं कि है जो कानूनन तो ग़लत है हि मानवीय मूल्यों का उपहास और अनादर भी है।

मदनफल, शिवलिंगी ,बला, नागबला, अर्जुन, शिशम, अपामार्ग, हरड़, बेहडा आदि अन्य संवेदनशील रुप से संरक्षित पेड़ों के अलावा, अन्य पौधे, लताएं, घांस, औषधीय गुणों से युक्त अन्य प्रजातियों का असमय पर बर्बादी तय है जिसके लिए कोई सहायता योजना नहीं है । इस आंदोलन में प्रमुखता से नंदू पटेल, मान्या भिलावेकर, रामदास महाराज, माधो नाटो ,बद्री वास्कले ,श्रीराम,सालिकराम जी ,श्रीकिसन,नीतीश श्रॉफ, संजय चौकसे,मामराज, राजूभाई ,नवल ,राहुल राठोड़, डॉ राठोड़ ओमप्रकाश ,,देवा,विजय, पन्ना पटेल, रुपला आदि अन्य किसान मौजूद थे।

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