भस्त्रिका और सूर्यभेदी प्राणायाम “योगिक हीटर” जो शरीर को अत्यधिक सर्दी से बचाव करते हैं : – योगाचार्य महेश पाल

मोहन शर्मा म्याना

भस्त्रिका और सूर्यभेदी प्राणायाम “योगिक हीटर” जो शरीर को अत्यधिक सर्दी से बचाव करते हैं : – योगाचार्य महेश पाल

गायत्री मंदिर गुना में योग सत्र के दौरान योगाचार्य महेश पाल ने अत्यधिक सर्दी से बचाव के लिए योग के महत्व के बारे मे बताया कि सर्दियों के मौसम में ठंड बढ़ने के साथ ही जुकाम, खांसी, जोड़-दर्द, सांस से जुड़ी समस्याएँ और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं। ऐसे समय में शरीर को भीतर से गर्म, सक्रिय और प्रतिरोधी बनाना अत्यंत आवश्यक होता है। योग इसी उद्देश्य को पूरा करने वाला सबसे प्रभावी, स्वाभाविक और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित अभ्यास माना जाता है।योग शरीर की हीट प्रोडक्शन प्रणाली को सक्रिय करता है वैज्ञानिक दृष्टि से सर्दी में शरीर का मेटाबॉलिज़्म धीमा पड़ जाता है, जिससे बॉडी-हीट कम बनने लगती है।योगासन और प्राणायाम मांसपेशियों की गतिविधि बढ़ाकर थर्मोजेनेसिस (Heat Production) को सक्रिय करते हैं। जब हम आसन करते हैं, तो मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ता है। इससे माइटोकॉन्ड्रिया अधिक ऊर्जा बनाते हैं और शरीर गर्माहट महसूस करता है। यह प्राकृतिक गर्मी लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे सर्दी का प्रभाव कम होता है। प्राणायाम फेफड़ों को गर्म रखकर जुकाम-सर्दी से बचाता है सर्द हवा के कारण श्वसन तंत्र सिकुड़ जाता है। योग के श्वसन अभ्यास फेफड़ों को लचीला रखकर ठंड के नकारात्मक प्रभावों को रोकते हैं प्राणायाम से Oxygen Saturation बढ़ता है, जिससे कोशिकाएं अधिक सक्रिय रहती हैं। कपालभाति, भस्त्रिका और अनुलोम-विलोम से नाक मार्ग गर्म रहता है और म्यूकस मेम्ब्रेन की सफाई बेहतर होती है इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इम्यून सिस्टम मजबूत करने में योग की विशेष भूमिका होती है सर्दी में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। योग अभ्यास प्रत्यक्ष रूप से इम्यून सिस्टम पर प्रभाव डालता है। योग से तनाव हार्मोन कोर्टिज़ोल कम होता है कोर्टिज़ोल का स्तर कम होने से WBCs (White Blood Cells) सक्रिय होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा को मजबूत बनाते हैं। ध्यान और प्राणायाम थाइमस ग्लैंड को सक्रिय करते हैं, जो विशेष रूप से “T-Cells” बनाती है और संक्रमणों से बचाती है इसलिए सर्दियों में नियमित योगाभ्यास करने वाले लोग सामान्यतः कम बीमार पड़ते हैं, सूर्य नमस्कार का अभ्यास शरीर की सभी बड़ी मांसपेशियों को सक्रिय कर हीट-प्रोडक्शन बढ़ाता है। त्रिकोणासन, ताड़ासन, भुजंगासन रक्तसंचार तेज करते हैं और शरीर को सक्रिय रखते हैं। पवनमुक्तासन और उष्ट्रासन पाचन तथा मेटाबॉलिज़्म को उत्तेजित करके शरीर की आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं। कपालभाति शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है, फेफड़ों को गर्म रखता है। भस्त्रिका और सूर्यभेदी प्राणायाम “योगिक हीटर” के नाम से प्रसिद्ध—तेजी से गर्मी उत्पन्न करता है।अनुलोम-विलोम नाक मार्ग खोलकर श्वसन तंत्र को ठंड के प्रभाव से बचाता है।भ्रमरी प्राणायाम मानसिक तनाव कम करके इम्यूनिटी बढ़ाता है। ठंड में सुस्ती, आलस्य और हल्का अवसाद (Winter Blues) सामान्य है। ध्यान मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामिन बढ़ाता है, जिससे मूड बेहतर होता है, ऊर्जा बढ़ती है, और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है अत्यधिक सर्दी के मौसम में योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि शरीर की ताप-नियंत्रण प्रणाली, श्वसन तंत्र, मानसिक स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा क्षमता को एक साथ सक्रिय करने वाला वैज्ञानिक और प्राकृतिक साधन है। यदि हर व्यक्ति प्रतिदिन 20–30 मिनट योग और प्राणायाम को अपनाए, तो सर्दियों में होने वाली बीमारियाँ काफी हद तक कम हो सकती हैं। योग को जीवनशैली में शामिल करना आज के समय की आवश्यकता ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन की कुंजी भी है।

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