नगर मंडलेश्वर में उपाध्याय मुनिवर श्री विभंजन सागर जी का मंगल प्रवेश , मुनिवर श्री ने कहा- श्रद्धा, विवेक और क्रिया से ही संभव है समाधि
बड़ा मंदिर में शांतिधारा के बाद प्रेरणादायी प्रवचन , समस्त धार्मिक क्रियाएं विवेक से करने पर जोर
मंडलेश्वर। धर्मनगरी मंडलेश्वर में आज शनिवार को परम पूज्य उपाध्याय मुनिवर श्री विभंजन सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश हुआ। मीडिया प्रभारी संयम जैन ने बताया कि मुनिवर श्री के आगमन पर समस्त दिगम्बर जैन समाजजनों द्वारा बैंड-बाजों और भव्य कलशों के साथ उनकी भावभीनी अगवानी की गई। समाजजनों ने मुनिवर श्री का स्वागत करते हुए उनके प्रति असीम श्रद्धा व्यक्त की। अगवानी के पश्चात, मुनिवर श्री को श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर ले जाया गया। मुनिवर श्री विभंजन सागर जी द्वारा अपने पावन मुखारविंद से श्रीजी की शांतिधारा संपन्न कराई गई। शांतिधारा के उपरांत, उन्होंने उपस्थित धर्मसभा को प्रेरणादायी प्रवचन दिया। अपने प्रवचन में, उपाध्याय मुनिवर श्री ने धर्म और श्रावक धर्म के मर्म को समझाया। उन्होंने कहा कि धर्म की प्रत्येक क्रिया में विवेक का विशेष महत्व है। मुनिवर श्री ने कहा, “श्रावक वही है जो श्रद्धावान हो, विवेकवान हो और क्रियावान हो।” उन्होंने समाधि प्राप्ति के मार्ग को समझाते हुए कहा कि जब तक व्यक्ति अपनी आधि मानसिक पीड़ा, व्याधि शारीरिक कष्ट और उपाधि सांसारिक उलझनें को दूर नहीं करता, तब तक समाधि की प्राप्ति संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने आगम शास्त्रों में बताए गए मार्गों पर पूर्ण श्रद्धा रखते हुए सभी मांगलिक धार्मिक क्रियाओं को विवेक के साथ करने पर ज़ोर दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन समाज मंत्री मनोज कुमार जैन द्वारा किया गया। मुनिवर श्री के नगर प्रवेश से लेकर, प्रवचन और आहार तक की समस्त व्यवस्थाओं में समाजजनों का विशेष सहयोग रहा। इसमें अंतिम कुमार जैन, धर्मेंद्र कुमार जैन,हेमंत जैन ,पारस जैन, मुकेश टेंट, रीतेश कुमार जैन, राहुल जैन, जितेंद्र जैन, महावीर जैन,नयन जैन ,मोनू जैन, सफल जैन सहित महिला मंडल में श्रीमती चंदा जैन, श्रीमती सुलभा जैन, श्रीमती रचना जैन, श्रीमती संध्या जैन, श्रीमती सविता जैन, श्रीमती साधना जैन, श्रीमती निधि जैन और श्रीमती अंजलि जैन सहित अन्य उपस्थित रहे।
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