श्रावक जीवन की सर्वोत्कृष्ट साधना याने उपधान तप परम पावनिय परमवंदनीय श्रमण भगवान महावीर स्वामी परमात्मा द्वारा प्रदत्त आत्माजन की सरलतम प्रक्रिया 47 दिनो की उपधान आराधना
श्रावक जीवन की सर्वोत्कृष्ट साधना याने उपधान तप परम पावनिय परमवंदनीय श्रमण भगवान महावीर स्वामी परमात्मा द्वारा प्रदत्त आत्माजन की सरलतम प्रक्रिया 47 दिनो की उपधान आराधना,
संसार के संसाधन को, सुखो को त्याग कर, आत्म रमणता का अवसर भारत देश के सबसे स्वच्छतम् शहर इंदौर महानगर में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दादा की छत्रछाया में परम पूज्य आचार्य देव श्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराजा के पट्टप्रभावक परम शिष्य परम पूज्य आचार्य देव श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराजा के पावन सानिध्य में प्राप्त हुआ।
पूज्य गुरुदेव का 2025 का चातुर्मास इंदौर महानगरी के पिपली बाजार श्रीसंघ की पावनभूमि पर हुआ, अनेकाविध आयोजन गुरुदेव की निश्रा में आयोजित हुये, क्योकि कहते है जहाँ गुरु नवरत्न की महेर है वहाँ सदा लिला लहर है, परंतु पिछले 35 वर्षो से निरंतर चलती आ रही उपधान तप आराधना की अटुट परंपरा लेकिन बीच शहर में व्यवस्थाओं को देख कर क्या करना, परंतु गुरुदेव ने अपनी साधना में संकल्प किया और देव गुरु की कृपा से उपधान तप नक्की हुआ और आश्चर्य देखते ही देखते उपधान तप के आराधको के नाम आने लगे और सैंकड़ो आराधको का मेला लग गया।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय व मोहनखेड़ ट्रस्ट के सुजानमलजी सेठ का सम्मान व आचार्य विश्वरत्नसागर का आशीर्वाद लिया
समस्त तपस्वियों का आचार्य श्री विश्वरत्नसागर महाराज सा ने मोक्ष माला पहना एवं महामांगलिक श्रवन कराया गया
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