प्रदेश के विभिन्न श्रमिक संगठन बुरहानपुर में एकजुट मज़दूर यनियन की हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल, निर्णय बाध्यकारी

रमाकांत वासुदेवराव मोरे बुरहानपुर

प्रदेश के विभिन्न श्रमिक संगठन बुरहानपुर में एकजुट मज़दूर यनियन की हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल, निर्णय बाध्यकारी

बुरहानपुर । टेक्सटाइल उद्योगों में कार्यरत हजारों श्रमिकों के लंबित बढ़े हुए वेतन की मांग को लेकर बुरहानपुर मज़दूर यूनियन ने रविवार को स्थानीय गणपति मंदिर में एक महत्वपूर्ण सभा का आयोजन किया। इस सभा में मध्य प्रदेश के विभिन्न प्रमुख श्रमिक संगठनों को आमंत्रित किया गया, जहां सभी ने एकजुट होकर श्रमिकों के हित में बढ़े हुए वेतन का भुगतान सुनिश्चित करने की मांग की। यह आयोजन बुरहानपुर मजदूर यूनियन के नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक संकल्प लिया गया। बुरहानपुर में टेक्सटाइल उद्योगों में कार्यरत लगभग 10,000 श्रमिकों ने 18 महीनों से लंबित वेतन वृद्धि की मांग को लेकर कामबंद हड़ताल का ऐलान किया था। इस हड़ताल के कारण दर्जनों कारखानों में उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया था। श्रमिकों का आरोप था कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन वृद्धि का लाभ उद्योगपतियों द्वारा श्रमिकों तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। इसके बजाय, कारखाना मालिक पुराने वेतन पर ही काम करवा रहे हैं और वेतन बढ़ोतरी की मांग पर धमकी देकर श्रमिकों को बर्खास्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

बुरहानपुर मजदूर यूनियन के नेतृत्व में सैकड़ों श्रमिकों ने कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान कलेक्टर के नाम एसडीएम अजमेर सिंह गौड़ को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें वेतन वृद्धि का तत्काल भुगतान, कारखाना मालिकों पर कार्रवाई और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई। एसडीएम ने उद्योगपतियों और श्रमिक प्रतिनिधियों की बैठक बुलाकर समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया था। मज़दूर यूनियन अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने उस समय कहा था, “बुरहानपुर के दर्जनों कारखानों में कार्यरत 10 हजार से अधिक मजदूर काफी आक्रोशित हैं। सरकार द्वारा बढ़ाया गया वेतन का भुगतान उन्हें नहीं किया जा रहा है। कारखाना मालिक मनमानी कर रहे हैं। कई बार कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई, बावजूद इसके मजदूरों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अब प्रशासन को मजदूरों के हित में निर्णय लेना चाहिए।”

रविवार की सभा का उद्देश्य:

सामूहिक एकजुटता और मांगें

गणपति मंदिर में आयोजित सभा में मध्य प्रदेश के विभिन्न श्रमिक संगठनों ने शिरकत की, जिनमें बुरहानपुर मजदूर यूनियन, सीटू, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन, मध्य प्रदेश श्रमिक अधिकार मंच आदि प्रमुख थे। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने टेक्सटाइल श्रमिकों के बढ़े हुए वेतन की मांग को पूरे राज्य स्तर पर समर्थन दिया और स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील की।

सभा में बुरहानपुर मजदूर यूनियन के अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने कहा, “श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन न देने वाले शासन-प्रशासन को अब कोई बहाना नहीं चलेगा। हमने हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर दी है, जिसका निर्णय बाध्यकारी होगा। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो श्रमिक आंदोलन को और तेज किया जाएगा। आज यहां मध्य प्रदेश के सभी संगठनों का एकजुट होना श्रमिक वर्ग की ताकत का प्रतीक है।” सीटू संगठन के प्रदेश सचिव जी.एन. सहरावत ने अपनी बात रखते हुए कहा, “श्रमिकों का शोषण अब बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार द्वारा घोषित वेतन वृद्धि का लाभ हर श्रमिक तक पहुंचना चाहिए। उद्योगपति पूंजीवाद के नाम पर श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसके खिलाफ हम सब एकजुट हैं।” मध्य प्रदेश श्रमिक अधिकार मंच के अरुण बेलदार ने कहा, “बुरहानपुर के टेक्सटाइल श्रमिक न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि पूरे देश के श्रमिक आंदोलन का हिस्सा हैं। उनकी मांग न्यायपूर्ण है और हम इसे राज्य स्तर पर उठाएंगे। प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, वरना आंदोलन व्यापक रूप ले लेगा।” सभा में अन्य प्रतिनिधियों ने भी श्रमिकों के हितों की रक्षा, न्यूनतम वेतन अधिनियम के कड़ाई से पालन, कारखाना मालिकों पर जुर्माना लगाने और श्रमिक कल्याण योजनाओं को लागू करने की मांगें उठाईं। सभा का समापन एक सामूहिक संकल्प के साथ हुआ, जिसमें सभी संगठनों ने श्रमिकों के पक्ष में एकजुट रहने का वादा किया।

आगे की योजना:

बुरहानपुर मजदूर यूनियन ने स्पष्ट किया है कि यदि वेतन वृद्धि का भुगतान नहीं किया गया, तो राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया जाएगा। संगठन ने सभी श्रमिक भाइयों-बहनों से एकजुट रहने और आंदोलन में भाग लेने की अपील की है। यह आंदोलन न केवल बुरहानपुर के टेक्सटाइल श्रमिकों की मांगों का प्रतीक है, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के श्रमिक वर्ग के अधिकारों की लड़ाई का हिस्सा है। हम अपेक्षा करते हैं कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन श्रमिकों के हित में तत्काल कदम उठाएंगे ।

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