क्षेत्रीय नदियों पर स्टाप डेम बनने से,बढ़ेगा जल स्तर और फसलों को मिलेगा पानी

संवाददाता विपिन पटेल

क्षेत्रीय नदियों पर स्टाप डेम बनने से,बढ़ेगा जल स्तर और फसलों को मिलेगा पानी

तेंदूखेड़ा नर्मदा उत्तराखंड में बहने वाली पांडाझिर,बरांझ और सिंदूर नदियों पर स्टाप डेम बनने से इन नदियों में लंबे समय तक पानी भरा रहेगा बल्कि आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों का जमीनी जल स्तर बढ़ने के साथ फसलों को समय समय पर पर्याप्त पानी मिलता रहेगा।दो दर्जन से अधिक गांवों को इसका फायदा होगा,इस विषय को काफी लंबे समय से उठाया तो जा रहा है लेकिन औपचारिकता निभाते ही आगे गति नहीं ले पाता। नर्मदा उत्तराखंड के अंतर्गत सागर जिले की सीमा से लगे झिरा घाटी से लेकर बिजोरा पीपरवानी पान से लेकर उधर आदिवासी बाहुल्य ग्राम ढिलवार मौआखेडा तक पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। चूंकि पांडाझिर,बरांझ और सिंदूर नदियों का भी निकलना इन्हीं जंगली क्षेत्रों से हुआ करता है। बरसात के दिनों में तो पर्याप्त मात्रा में पानी रहता है लेकिन गर्मी आते आते अनेकों स्थानों पर नदी सूखने लगती है। चूंकि उक्त पांडाझिर नदी देवरी विजोरा मानकपुर तरफ से होती हुई गुटोरी बरकुंडा डोभी तरफ से आगे निकल जाती है।इसी तरह से बरांझ नदी भी रम्पुरा खमरिया बरांझ कठोतिया इमझिरा खेरुआ काचरकोना ईश्वरपुर से आगे गंग ई भामा होते हुए आगे की तरफ बढ़ जाती है। इसी तरह से सिंदूर नदी भी मदनपुर पीपरवानी से आगे बंधी टपरियों तरफ आगे निकल जाती है।इन नदियों के बाजू से अनेकों ग्रामीण क्षेत्र जुड़े हुए हैं लेकिन इसका उचित उपयोग ना हो पाने के कारण पानी रहते हुए प्यासे बनें हुए हैं।

इन नदियों पर स्टाप डेम बनने से जहां कृषि उपज को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा वहीं नदियों के बाजू से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में हेंडपंपो ट्यूब बेलों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा।जमीनी जल स्तर भी बढ़ जायेगा।

चूंकि पिछले कई वर्षों से इस विषय को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा गंभीरता उठाया भी गया लेकिन शासन प्रशासन स्तर पर केवल औपचारिकता ही निभाई जाती रही है।

*मवेशियों को मिलेगा पीने योग्य पानी*

जंगली क्षेत्रों से निकली इन नदियों पर स्टाप डेम बनने से जहां जंगली क्षेत्रों से लगे जानवरों को पानी की उपलब्धता होगी वहीं मवेशियों को भी पीने योग्य पानी मिलेगा। वर्तमान में पानी चारे भूसे की समस्या के चलते ही पशु पालक अपने अपने मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं।जो मुसीबत का कारण बनते हैं। एवं असहाय मवेशी भी भूख और प्यास से तड़पते हुए देखे सुने जाते हैं।जबरन खेतों में घुसकर फसलों को नुक़सान पहुंचाया करतें हैं।

: *सिन्दूर नदी में मगरों का डेरा*

मदनपुर के समीप बहने वाली सिंदूर नदी पर आगे टपरियों और इटुआ के बीच नदी में बड़ी संख्या में मगरों का डेरा बना हुआ है। पहले तो एक दो मगरें देखने को मिला करतीं थीं लेकिन अब तो यहां दो दर्जन से अधिक छोटी बड़ी मगरें मदनपुर तालाब तक धावा बोला करतीं हैं।चरवाहे, और मछली पकड़ने वाले भी इनकी गिरिफ्त में आ चुके हैं । अनेकों मवेशी, बकरियां भी इनका निवाला बन चुकीं हैं।

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