पूर्व आचार्य श्री दर्शन सागर जी महाराज की सुसनेर में चल रही संलेखना

राजेश माली सुसनेर

पूर्व आचार्य श्री दर्शन सागर जी महाराज की सुसनेर में चल रही संलेखना

*सुसनेर नगर में 81 वर्षीय जैन संत आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज जिन्होने अपने जीवन में 188 पंचकल्याणक करवाए। 1972 में मुनि दीक्षा लेने के बाद से 47 सालो में अभी तक इन्होेने 2 लाख किलोमीटर की पद यात्रा कि। आचार्य श्री ने अपने जीवन में सुसनेर के सकल दिगम्बर जैन समाज को एक सूत्र में बांधे रखा, न सिर्फ समाज उत्थान के प्रयास किए, बल्कि मुम्बई में बने एक मंदिर की तर्ज पर सुसनेर के इंदौर-कोटा रामजार्ग पर ही त्रिमूर्ति मंदिर का निर्माण कर समाजजनो को धर्म से भी जोडे रखा। अंहिसा परमो धर्म का संदेशे देते हुएं आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज के सानिध्य में सुसनेर में अन्तिम् 189 वां पंचकल्याणक महोत्सव 23 जनवरी से 30 जनवरी तक पंचकल्याणक महोत्सव संपन्न हुआ*

*2 लाख किलोमीटर की पदयात्रा के दौरान आचार्य श्री ने अभी तक अपने जीवन में धर्म का ही अनुसरण करने की सीख समाजजनो को दी है। यही कारण है की सुसनेर का जैन समाज हर वर्ष अयोजित किया जाने वाला हर कार्य जैन संत आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज के ही सानिध्य में ही करता आ रहा है*

*1972 में ली थी छुल्लक दीक्षा, आचार्य बनने के बाद 1973 में पहुंचे थे सुसनेर*

*9 अप्रैल 1972 को दिल्ली के समीप अतिशय क्षेत्र तिजारा में दर्शन सागरजी ने छुल्लक दीक्षा ली, उसके बाद 13 मार्च 1973 में राजस्थान के बुंदी में आचार्य श्री निर्मल सागरजी महाराज से मुनि दीक्षा ली। 13 अप्रैल 1973 को गणधर पद संगोद राजस्थान में मिला। उसके बाद वे सुसनेर पहुंचे फिर 11 फरवरी 1983 में उत्तरप्रदेश के आगरा में आचार्य पद की पद्वी आचार्य श्री सुमतसागरजी महाराज ने प्रदान की। दर्शन सागरजी जब 1973 में जब मुनि थे तब ही सुसनेर पहुंच गए थे। तब से लेकर आज तक उन्होने अपनी संत साधना सुसनेर में ही की*

*समाज धर्म से जुडा रहे इसलिए सुसनेर में ही किए 25 चातुर्मास*

*आचार्य श्री ने सकल दिगम्बर जैन समाज को धर्म से जोडे रखने के लिए समाजजनो के आग्रह पर अपने जीवन के 25 चातुर्मास भी सुसनेर में ही किए। सन् 1974 में मुनि बनने के बाद दर्शन सागरजी ने पहला चातुर्मास सुसनेर में किया था। कुछ चातुर्मास दिल्ली, इंदौर, कोटा, बुंदी, निवई, अजमेर, उज्जैन भी किए। यहां से उन्होने पद यात्रा कर कई विहार किए। सबसे अधिक चातुर्मास सुसनेर में ही किए*

*आचार्य श्री के नाम से ही संचालित हो रहा है स्कूल व ट्रस्ट*

 *आचार्य श्री दर्शन सागरजी महाराज ने यहां के जैन समाज को शिक्षा व अन्य कारोबार से लेकर तमाम क्षेत्रो में उन्नति दिलाई। सुसनेर में ही जैन समाज के द्वारा आचार्य श्री दर्शन सागर महाराज ज्ञान मंदिर स्कूल के नाम से ही प्राइवेट स्कूल व ट्रस्ट भी संचालित है जो कि महाराज की प्रेरणा से समाजजनो के द्वारा संचालित किया जा रहा है

 38 दीक्षाएं, जिसमें 15 मुनि और 20 छुल्लकजी शामिल, 3 आर्यिका माताजी

*आचार्य श्री ने अपने 47 साल के जीवन में अभी तक 38 दीक्षाएं दी है, जिसमें से 16 मुनि और 20 छुल्लक शामिल है। इसके अतिरिक्त एक आर्यिका माताजी और दो छुल्लिका माताजी शामिल है*

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