धड़ल्ले से हो रहा चैनपुर पटपरी के नाले पर ओवर ब्रिज का निर्माण, ग्रामीणों ने उठाएं ओवर ब्रिज निर्माण पर सवाल पहली बारिश में ही बह आएगा पुल, वेस दीवार पर मटेरियल पर नहीं की एक दिन भी तराई

ब्यूरो चीफ नरेन्द्र राय SJ न्यूज एमपी

लोकेशन सिलवानी

धड़ल्ले से हो रहा चैनपुर पटपरी के नाले पर ओवर ब्रिज का निर्माण, ग्रामीणों ने उठाएं ओवर ब्रिज निर्माण पर सवाल पहली बारिश में ही बह आएगा पुल, वेस दीवार पर मटेरियल पर नहीं की एक दिन भी तराई

रायसेन/सिलवानी। जिले की तहसील सिलवानी के अंतर्गत आदिवासी अंचल ग्राम पंचायत चैनपुर से पटवारी चंद्रपुरा रोड़ के बीच नदी के पुल पर ओवर ब्रिज निर्माण किया जा रहा है जो बहुत ही धीमी रफ्तार और घटिया तरीके से निर्माण किया जा रहा है इस ओवर ब्रिज पीएमजेएसवाय योजना के अंतर्गत ठेका श्री बालाजी इंफ्राटेक भोपाल के ठेकेदार अनुरंजन सिंह चौहान ने लिया।इस ओवर ब्रिज की लागत133.34 लाख रुपये है।

जो बेहद धीमी रफ्तार से ओवर ब्रिज का निर्माण। ग्रामीण संतोष आदिवासी मुकेश भोलाराम गौंड,रंजीत पटेल रमको बाई, मेहरबान सिंह मेहरा कविता बाई गुड्डी बाई विनीत बाई ने मीडिया कर्मियों को बताया कि पटपरी की लोकल नदी के जंगल में ओवर ब्रिज का निर्माण शुरुआती दौर से ही घटिया और बेहद धीमी गति से हो रहा है।ठेकेदार का सुपरवाइजर आकाश शुक्ला द्वारा साइड सब इंजीनियर राजाराम साहू को निर्देशित किया गया है कि द्वारा नदीनालों की बजरी रेत नर्मदा नदी रेत में मिलाकर घटिया लोकल सीमेंट मिश्रण तैयार कर पुल की बैंस और दीवारों सहित पल की नई पर भी यह घटिया मिशन का लेप डाला गया है ग्रामीणों ने बताया कि मिश्रण डालने के बाद एक दिन भी इसकी पानी से तराई नहीं की गई जो पहली बार बरसात के पानी की की मार में ही धराशाई हो सकता है ।उन्होंने ठेकेदार अनुरंजन सिंह चौहान को ब्लैकलिस्टेड करने की भी मांग जिला प्रशासन से की है।

 

जंग लगे सरीर्यों को ओवर ब्रिज पुल निर्माण में किया जा रहा है इस्तेमाल….

बताया जाता है कि ओवर ब्रिज के निर्माण में जंग लगे सरियों को पुल की दीवारों और नींव में किया जा रहा है। इससे घटिया ओवर ब्रिज निर्माण की पोल खुल रही है प्रधानमंत्री सड़क परियोजना भाग के रायसेन के महाप्रबंधक यशवंत सक्सेना कई मौके पर पोशाक निरीक्षण और मॉनिटरिंग करने नहीं पहुंचे जिससे ठेकेदारों के कर्मचारियों के घोसले बुलंद है और मनमानी तरीके से पुल निर्माण में लीपा पोती कर रहे हैं इस तरह सरकारों की लाखों रुपए की राशि ठेकेदार उनके कर्मचारियों द्वारा हड़पी जा रही है जंगल में चल रहे निर्माण कार्य को लेकर ना कोई सुनने वाला है और ना कोई विरोध करने वाला कोई ग्रामीण आवाज उठाता है तो सुपरवाइजर आकाश शुक्ला उन्हें अकड़ दिखाकर उनकी बोलती बंद कर देता है।

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