पृथक हिंदू ओबीसी आरक्षण की लड़ाई अनवरत जारी रहेगी – वैभव सिंह

दमोह से अमर चौबे

पृथक हिंदू ओबीसी आरक्षण की लड़ाई अनवरत जारी रहेगी – वैभव सिंह

वैसे तो पूरे भारतवर्ष में आरक्षण सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है परंतु बात अगर 2024 के आम चुनाव की करें तो हिंदू ओबीसी वर्सेस मुस्लिम ओबीसी आरक्षण पूरे चुनाव प्रचार का केंद्र बिंदु बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार से लेकर भाजपा के तमाम दिग्गज जहां मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने की बात का प्रचार करते नजर आए वही कांग्रेस शासित राज्यों में यह व्यवस्था पहले से दी जा रही थी और कांग्रेस का इंडिया गठबंधन मुस्लिम आरक्षण के पक्ष में दिखा।

आम चुनाव 2024 के चुनाव प्रचार में मुस्लिम एवं हिंदू ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सर्वप्रथम हिण्डोरिया राज परिवार के एडवोकेट वैभव सिंह द्वारा सामने लाया गया एवं इस व्यवस्था का विरोध दर्ज कराया।

हिंदू ओबीसी आरक्षण की पृथक से मांग उठने वाले हिंदू ओबीसी महासंघ के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष वैभव सिंह ने कहा है कि इस संगठन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू पिछड़ा वर्ग को जागृत कर हिंदू ओबीसी को मुस्लिम ओबीसी से अलग कर प्रथक संपूर्ण संवैधानिक आरक्षण की मांग उठाई जाएगी एवं हिंदू ओबीसी पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध एवं उनके विकास की दिशा में कार्य किया जाएगा।

ओबीसी महासभा की कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य वैभव सिंह द्वारा बात पर विरोध दर्ज कराया गया कि जो ओबीसी वर्ग का कोटा अलग-अलग राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है इस कोटे में से एक सब कोटा बनाते हुए मुस्लिम आरक्षण जो की पूर्णत धार्मिक है यह न्यायोचित नहीं है एवं संविधान की मंशा पूरी नहीं करता है।

*ओबीसी के हक में धरना एवं अभियान*

ओबीसी महासभा के गठन से लेकर सागर स्थित पीली कोठी में जनवरी 2019 से 137 दिनों तक लगातार चलने वाले धरना उसके बाद दमोह में आंधी तूफान के बावजूद कई दिनों तक चले धरना में उनके द्वारा बारंबार ओबीसी के संपूर्ण अधिकार सरकार से मांगे गए सरकार चाहे कोई भी रहे। इस हेतु उनके संगठन द्वारा 5 साल से राष्ट्रीय प्रदेश एवं जिला स्तरीय मासिक ज्ञापन दिए जा रहे हैं। उनका मानना है कि जातिगत जनगणना कर धार्मिक आधार पर ओबीसी को उनके संपूर्ण अधिकार दिए जाने चाहिए। हिण्डोरिया राज परिवार का खोया गौरव एवं सम्मान वापस स्थापित करने में भी वैभव सिंह अपने इतिहास की समझ एवं खोजी मानसिकता के चलते यह तथ्य भी सबके सामने लाए कि राजा किशोर सिंह ने बुंदेलखंड क्षेत्र में अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया एवं 1857 क्रांति में अंतिम समय तक उनसे युद्ध करते हुए अपनी जागीर एवं प्रजा की रक्षा की। विदित रहे अंग्रेजों की अंतिम संधि राजा किशोर सिंह लोधी हिण्डोरिया के साथ हुई थी। इतिहास से निकालकर यह तथ्य वैभव सिंह द्वारा स्थापित किया गया है।

राजा हिरदेशाह लोधी एवं प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1842 की क्रांति को भी उनकी खोजी मानसिकता एवं इतिहास की समझ का ही परिणाम माना जाए कि यह तथ्य पूरे देश के सामने स्थापित हुआ कि स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई 1857 न होकर 1842 में राजा हिरदेशाह लोधी के नेतृत्व में लड़ी गई जिस कारण अंग्रेजों ने भारत में जेल न्याय और पुलिस व्यवस्था स्थापित की जो आज भी जारी है।

उक्तानुसार यह कहने में कोई वंचना ना होगी कि स्थानीय सांसद प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी, जो कि उनके सगे चचेरे भाई हैं, को भाजपा द्वारा प्रत्याशी घोषित करने में 1842-1857 क्रांति की पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ ओबीसी वर्ग के हक की लड़ाई को प्रमुख कारक माना जा सकता है। मोदी लहर के साथ वैभव सिंह के सामाजिक कार्य उनकी जीत का प्रमुख कारण बन सकते हैं।

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