फर्जी अंकसूची के आधार पर बन बैठीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मामला हुआ उजागर,नियुक्ति आदेश निरस्त करने के दिए निर्देश
टीकमगढ़। जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए 12वीं कक्षा की फर्जी अंकसूची लगाने का मामला सामने आया है। मामले की शिकायत पर अपर कलेक्टर ने सुनवाई करते हुए बुधवार को आदेश जारी किया है। फ र्जी अंकसूची के आधार पर हुई नियुक्ति को निरस्त करते हुए शिकायतकर्ता की 10 दिन के अंदर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति करने का आदेश जारी किया है। बताया गया है कि ग्राम ज्यौरामोरा निवासी अनुभा तिवारी ने साल 2023 में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए आवेदन किया था। अनुभा के अलावा गांव की रितु यादव सहित दो दर्जन से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं ने इस पद के लिए फ ॉर्म जमा किया था। चयन समिति ने दस्तावेजों की जांच के बाद मार्च 2023 को रितु यादव का आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयन किया था। बताया गया है कि 29 मार्च 2023 को नियुक्ति के खिलाफ अनुभा तिवारी ने अपर कलेक्टर न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई थी। अनुभा ने रितु यादव की 12वीं की मार्कशीट को फ र्जी बताते हुए अंक सूची की जांच कराने की मांग की थी। शिकायत के आधार पर अपर कलेक्टर एचबी शर्मा ने जांच टीम का गठन किया था। टीम ने रितु यादव के दस्तावेजों की दोबारा जांच की। जिसमें 12वीं की अंकसूची फ र्जी निकली। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रितु यादव की माध्यमिक शिक्षा मंडल उत्तर प्रदेश की 12वीं की अंक सूची फर्जी है। बताया गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता फर्जी अंकसूची लगाकर नियुक्ति ही नहीं पा गई, बल्कि मानदेय भी पाती रहीं। अब देखना है कि इस मामले में प्रशासन द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है। बताया गया है कि जांच टीम ने उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा अनुभा तिवारी को 10 दिन के अंदर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया है।
ज्यादा नंबरों से पकड़ी गई फ र्जी मार्कशीट-
अनुभा तिवारी ने शिकायत में बताया था कि रितु यादव ने 12वीं कक्षा की जो अंक सूची लगाई है, उसमें हिंदी में 94 अंग्रेजी में 88 और फि जिक्स में 90 अंक आदर्श गए हैं। तीनों सब्जेक्ट में अगर इतनी ज्यादा नंबर मिले हैं, तो फि र मार्कशीट में डिक्टेंशन क्यों नहीं लगा है। जबकि केमिस्ट्री बायोलॉजी में 86 और 84 अंक होने पर डिक्टेशन लगी है। इसी को आधार बनाकर जांच टीम ने अंकसूची की जांच की। जिसमें 12वीं कक्षा की अंकसूची फ र्जी निकली।
यह पहला मामला नहीं है-
जिले में फर्जी नियुक्ति का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके पहले शिक्षा विभाग में भी गलत तरीके से नियुक्ति पाने के कई मामले सामने आए, लेकिन कई ऐसे भी मामले रहे, जिन पर किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अंकसूची, जाति प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों में कूटरचना कर नियुक्तियां तो पा ली गई, लेकिन उनमें से कुछ मामले उजागर भी हुए। बताया गया है कि जिले में फर्जी विकलांग प्रमाण बनाए जाने के भी मामले चर्चाओं मे रहे हैं। नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों की जांच पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। आखिर यह नियुक्यिां हो कैसे जाती हैं।
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