किसानों को कपास बीज वितरण को लेकर राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी प्रत्येक बीज दुकान पर लगाओ गई अनियमितता पाये जाने पर विक्रेता के विरूद्ध होगी एफआईआर
किसानों को कपास बीज वितरण को लेकर राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी प्रत्येक बीज दुकान पर लगाओ गई अनियमितता पाये जाने पर विक्रेता के विरूद्ध होगी एफआईआर
जिले में कपास बीज की विशेष किस्म की मांग को देखते हुए कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने कृषि आदान विक्रेता संघ के अध्यक्ष एवं अन्य कृषि आदान विक्रेताओं के साथ बैठक कर इस संबंध में व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिले के समस्त थोक एवं खेरची बीज विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि कपास बीज वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता या कालाबाजारी की जाती है तो उनके विरूद्ध तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज करते हुए दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी।
जिले में किसानों को कपास बीज वितरण के लिए सभी एसडीएम, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एवं राजस्व विभाग के अमले की ड्यूटी लगाकर अपने क्षेत्र में बीज वितरण की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं। *
*जिले के किसानों से अपील की गई है कि वे टोकन के लिए जिला स्तर पर न आए। जब भी इस क़िस्म के बीज विक्रेताओं के पास आएगी पृथक से सूचित कर दिया जाएगा !जिले में 40 से 50 अन्य कम्पनियों का गुणवत्तायुक्त अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों का कपास बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिसे पंजीकृत निजी विक्रेता से निर्धारित दर पर क्रय कर बुआईकरे।*
किसान बन्धुओं से कहा गया है कि कपास बीज कंपनियों के बीज उत्पादक कंपनी दक्षिण भारत में हैं, जहा पर पिछले वर्ष अधिक वर्षा होने से कपास बीज खराब होने के कारण कंपनियों के पास किस्म विशेष के बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं होने से समस्त कृषकों को कपास बीज रासी-659 एवं आशा-1 किस्मों उपलब्ध करवाया जाना संभव नहीं होगा,
जिससे किसान बन्धुओं से अपील की गई हैं कि कपास बीज की रासी-659 एवं आशा-1 किस्मों को छोड़कर अन्य कंपनियों के अधिक पैदावार देने वाली कपास की किस्में जिले में, विकासखण्ड स्तर, ग्रामीण क्षेत्रों के बीज विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में कपास बीज उपलब्ध हैं। किसानों से अपील की जाती हैं कि अपने-अपने खेतों में रासी-659 एवं आशा-1 के अतिरिक्त अन्य कंपनियों के बीज की बुआई कर, उन किस्मों द्वारा भी कपास का उत्पादन अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सकता हैं।
डॉ. व्हाय. के. जैन वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र खरगोन द्वारा बताया गया है कि जिले में अधिक से अधिक क्षेत्र में एक ही किस्म का बुआई की जाती हैं तो उस पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप अधिक से अधिक होता है, जिससे कपास के उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। अतः कृषको से अपील की जाती हैं कि एक किस्म को छोड़कर विभिन्न प्रकार की किस्मों की बुआई करना चाहिए। जिससे कि किस्म विशेष प्रभावित होने पर अन्य किस्मों से उत्पादन को बिना प्रभावित किये उत्पादन लिया जा सकता हैं।
जिले के कृषि आदान विक्रेताओं के पास माहिकों सीड्स के 31 हजार,
आदित्य एग्रोटेक के 50 हजार 16,
माहिको प्रालि के 25 हजार,
प्रभात सीड्स 23 हजार 120,
नाथ बयोजीन के 15 हजार 200,
एल्डोराडो एग्रीटेक के 5240,
अंकुर सीड्स के 12 हजार,
अजीत सीड्स के 16 हजार 400,
कावेरी सीड्स के 16 हजार 500,
प्रवर्धन सीड्स के 44 हजार,
कृषिधन सीड्स के 3200,
श्रीराम बायो सीड्स के 05 हजार एक्सपर्ट जैनिटिक्स के 3200,
पाटीदार सीड्स कॉरपोरेशन के 5500,
अलग्रीप सीड्स के 8 हजार,
वेस्टर्न बायो वेजिटेबल सीड्स के 1200,
सोलार एग्रोटेक 1710,
नर्मदा सागर एग्री सीड्स के 800,
देशाई सीड्स कॉरपोरेशन के 900 एवं अन्य कंपनियों के कपास बीज उपलब्ध है। इस प्रकार जिले में 04 लाख 68 हजार 158 कपास बीज के पैकेट उपलब्ध हैं। ये बीज किसान सीधे निजी बीज विक्रेताओं से सीधे निर्धारित दर पर लिए जा सकते है इसकी निगरानी सरकारी अधिकरी मोजूद रहेंगे
इस संबंध में निर्देशित किया गया है कि कपास बीज के थोक व खेरची विक्रेता के प्रति दिवस के स्टॉक की जांच की जावेगी। किसी विक्रेता द्वारा किसी भी प्रकार की अनियमितता की जाती है तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी!
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