भारतीय ज्ञान परंपरा में अद्वैत वेदांत का अद्वितीय स्थान है- प्रो एपी दुबे

छतरपुर संवाददाता/ मुकेश भार्गव

भारतीय ज्ञान परंपरा में अद्वैत वेदांत का अद्वितीय स्थान है- प्रो एपी दुबे

*एमसीबीयू में हुए व्याख्यान का छात्रों ने लिया लाभ*

 छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,छतरपुर की कुलगुरु प्रो शुभा तिवारी के संरक्षण ,कुलसचिव श्री यशवंत सिंह पटेल के मार्गदर्शन एवं विभागाध्यक्ष डॉ जेपी शाक्य के निर्देशन में दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा सरस्वती हॉल में भारतीय ज्ञान परंपरा में अद्वैत वेदांत का योगदान विषय पर एक उपयोगी व्याख्यान आयोजित किया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में सेवानिवृत प्राध्यापक प्रो एपी दुबे पूर्व आचार्य,दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला एवं शोध केंद्र डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर उपस्थित रहे।

      सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों ने मां सरस्वती का पूजन अर्चन किया।विभाग प्रमुख डॉ जे पी शाक्य,,सहायक प्राध्यापक श्री बी डी नामदेव,अतिथि विद्वान श्री संतोष प्रजापति शोधार्थी देवेंद्र शुक्ला ,गौरव द्विवेदी एवम् भगवानदास अनुरागी ने मंचसीन अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। प्रो जयप्रकाश शाक्य ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को सर्वोपरि स्थान दिया गया है।भारतीय दर्शन भारतीय ज्ञान परंपरा की आत्मा है और वेदांत उसका उत्कर्ष है।

        मुख्य वक्ता प्रो ए पी दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में अद्वैतवाद का अद्वितीय स्थान है। अद्वैत वेदांत में हमें सुव्यवस्थित समाज दर्शन उपलब्ध नहीं होता ,किंतु समाज रचना के तत्व नि:संदेह विद्यमान हैं। अद्वैत वेदांत के आचार्यों ने जीवन के चरम लक्ष्य को सामने रखकर ही एक विशेष प्रकार के समाज की कल्पना की है।वर्णाश्रम धर्म और आश्रम धर्म उसकी सामाजिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अद्वैत वेदांत समग्र मानवसमाज और राज्य का हित चिंतक और समाज के सभी वर्गों के हेतु उन्नति की व्यवस्था करने वाला है।

   कार्यक्रम का संचालन श्री संतोष प्रजापति ने किया।अंत में श्री बीडी नामदेव ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में ब्रज गोपाल कुशवाहा,श्रीमती भूमानी बाई अहिरवार सहित एम ए चतुर्थ सेमेस्टर दर्शनशास्त्र के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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