श्रीमद् भागवत कथा में भक्त प्रहलाद भगवान नरसिंह का चरित्र-चित्रण भगवान की भक्ति में ही शक्ति है – मदन मोहन महाराज
बड़वाह श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ श्री श्री 1008 श्री नारायण देवाचार्य महाराज की प्रेरणा से एवं श्री श्री 1008 धन्ना पीठाधीश्वर श्री बजरंग देवाचार्य महाराज
रामधाम आश्रम तामडिया, चाकसू, जयपुर धुआँ कलाँ, टॉक,जयपुर राजस्थान के सानिध्य में सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन नावघाट खेडी स्थित विरक्त कुटी सभागृह में कथा मुख्य यजमान रमेश कुलवाल मिर्ची वाले जयपुर द्वारा कराई जा रही है। कथा के दूसरे दिवस गुरुवार को जयपुर से पधारे कथा वाचक मदन मोहन महाराज ने भगवान नरसिंह का चरित्र-चित्रण करते हुए भक्त प्रहलाद की निष्काम भावना का दर्शन कराया।मुख्य कार्यकर्ता सत्यनारायण गोयल रामेश्वर तारवर मास्टर (त्रिवेणी धाम ) राम गुप्ता मुकेश यादव रामरतन घोंसला भवर राठौड़ हुकुमचंद गोयल मथुरा प्रसाद तिवारी रमेश शर्मा नारायण सैनी ब्रह्मदत्त शर्मा सहित सैकड़ों गणमान्य उपस्थित रहे।
भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है।
कथावाचक मदन मोहन महाराज ने व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र है आनंद। आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरणकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया, तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरनयाक्ष ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया।
*हिरणकश्यप भागवन विष्णु को शत्रु मानते थे।*
हिरणकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरणकश्यप भागवन विष्णु को शत्रु मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरनयाक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर बध किया।
भगवान की भक्ति में ही शक्ति है
मदन मोहन महाराज ने कहाकि भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वह बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा कर सके, गो सेवा, साधु की सेवा कर सके। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान श्री श्री 1008महा मंडलेश्वर बालदास जी महाराज रमेश गोयल राजकुमार गोयल मदनलाल पांचाल मुकेश गोयल रमेश शर्मा वीडी शर्मा नारायण सैनी कैलाश डालूका दीपक पाटीदार आदि मौजूद थे।
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