महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव का प्रतीक है महाशिवरात्रि

मनावर से शकील खान

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव का प्रतीक है महाशिवरात्रि

 

पर क्या है पूजन के शुभ समय और योग जाने रात्री के चार प्रहर के शिव पूजन मुहूर्त महाशिवरात्रि की रात्रि की प्रथम प्रहर पूजा का मुहूर्त शाम 6.25 से है महाशिवरात्रि वाले दिन शिव जी की निशिता पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात्रि 12.07 मिनट से प्रारंभ है शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.08 मिनट से दोपहर 12.56 मिनट तक है इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास है क्योंकि महाशिवरात्रि पर पांच शुभ संयोग बन रहे है जिसमे सबसे खास महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष एक साथ ही है

महाशिवरात्रि के अवसर पर रिद्धेश्वर भोलेनाथ की पूजा करने के लिए मुहूर्त या शिव काल से भी परे है शिवजी पर राहु काल आदि का कोई प्रभाव नहीं होता उनसे तो स्वयं काल भी देता है महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन 8 मार्च को मनाया जाएगा ऐसे में महाशिवरात्रि के चार प्रहर की पूजा का महत्व अधिक होता है रात्रि की प्रथम प्रहर पूजा का मुहूर्त शाम 6.25 मिनट से रात्रि 9.28 मिनट तक है दूसरे प्रहर की पूजा का मुहूर्त रात्रि 9.28 मिनट से रात्रि 12.31 मिनट तक है वही रात्रि के तीसरे प्रहर की पूजा का मुहूर्त देर रात्रि 12.31 मिनट से 3.34 मिनट तक है उसके बाद महाशिवरात्रि की रात्रि के चतुर्थ प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 मार्च प्रातः 3.34 मिनट से सुबह 6.37 मिनट तक है

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि होती है इस बार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात्रि 9.57 से 9 मार्च को शाम 6.17 मिनट तक मान्य है

जिन लोगों को ब्रह्म मुहूर्त स्नान करके महाशिवरात्रि की पूजा करना है उनके लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 5.01 मिनट से 5.50 मिनट तक है महाशिवरात्रि पर बनने वाले पांच श्रेष्ट संयोग 1, महाशिवरात्रि के दिन ही शुक्र प्रदोष व्रत।

2, महाशिवरात्रि पर शिवयोग पूरे दिन।

3, सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 6.38 बकानेर के समीप स्थित अतिप्राचीन पांडव कालीन मन्दिर श्री रिद्धेश्वर महादेव मंदिर देवताओं की माता अदिति की तपोभूमि उत्तर नर्मदा तट मानसंगम घाट पर हो रहे सप्तदिवसीय रुद्रमहायज्ञ का आयोजन संत श्री रामदास जी महाराज के पावन सानिध्य में आप और हम समस्त धर्म प्रेमी क्षेत्र वासी जनता द्वारा कर्म यज्ञ में आहुति देते हुए सभी भक्तों ने पंचम दिवस को पूर्ण किया जिसमें वाराणसी ( काशी) से पधारे विद्वजनों द्वारा पंचम दिवस में यज्ञ को पूर्ण कराया जिसमें यज्ञाचार्य पंडित श्री दीपक जी पाठक एवं उपाचार्य राजेश तिवारी,यज्ञ के ब्रम्हा पंडित अतुल मिश्रा, पण्डित प्रशांत मिश्रा, पंडित राहुल तिवारी, पंडित पुनीत मिश्रा, पण्डित विकास मिश्रा

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