लोकेन्द्र सिंह परमार टीकमगढ़
वन मंडल टीकमगढ़ की एसडीओ ने कर दिया खेला-
चंद पैसों की लालच में शासन के राजसात की गाइड लाइन को किया दरकिनारे
वाहन राजसात की सूचना भेजकर राजसात की प्रक्रिया किए बिना प्रशमन करके छोड़ दिया जप्त वाहन
टीकमगढ़। वन विभाग अंतर्गत मध्य प्रदेश में हमेशा सुर्खियों में रहने वाला टीकमगढ़ वनमण्डल एक बार फि र एक कार्रवाई के मामले में चर्चाओं में आ गया है। सूत्रों की मानें तो इस कार्रवाई में सुविधा शुल्क का अच्छा खासा बोलबाला रहा है। वन अधिकारियों द्वारा जिले में की जाने वाली कार्रवाईयों ने प्रशासन की छवि को धूमिल करने में लगता है कि कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। बताया गया है कि इस मामले में बड़ा खेला हो गया, जिसको करने वाला कोई और नहीं खुद ही एक आईएफ एस अधिकारी हैं, जो भारतीय वन सेवा की प्रशिक्षु अधिकारी हैं, जो अभी एसडीओ टीकमगढ़ के प्रभार में हैं। यह महिला अधिकारी वर्तमान में प्रोबेशन में सही गलत करने का पाठ अपने अधिनस्थों और वरिष्ठ से सीख रहीं हैं। जिसके चलते प्रभारी प्रोबेशनर आईएफ एस एसडीओ टीकमगढ़ को न तो वन सुरक्षा और न ही वानिकी कार्यों से कोई लेना देना है। इसके साथ ही उन्हें शासन के परिपत्रों से भी लगता है कि कोई सरोकार नहीं है। बस उनको और उनको ज्ञान गुरु देने वालों को केवल और केवल इस बात से मतलब है कि मोटी रकम कहा से आए और वन संपदा को नुकसान कैसे पहुंचाया जाए। तभी तो दिन-रात सबडिविजन टीकमगढ़ अंतर्गत आने वाली रेंज और उनकी बीटें उत्खनन और अतिक्रमण से पहले से ज्यादा प्रभावित हो गईं हैं। सबडिविजन टीकमगढ़ अंतर्गत ऐसी कोई रेंज और बीट नहीं है, जिसमें उत्खनन और अतिक्रमण न हो, लेकिन ऊपर बैठे अधिकारीयों और खुद वर्तमान एसडीओ और उनके मातहात को इस बात का गुरुर है कि ’जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का’ । बात वन सुरक्षा और जप्ति की करें, तो वन विभाग के मुख्यालय से सरंक्षण शाखा और वन विभाग के परिपत्रों में स्पस्ट प्रावधान और निर्देश प्रसारित किए गए हैं कि यदि किसी वन अपराध में जप्त वाहन के लिए निर्धारित प्रपत्र में राजसात की सूचना शुरू करने के लिए यदि जानकारी सम्बंधित एसडीओ अर्थात प्राधिकृत अधिकारी के द्वारा क्षेत्राधिकार वाले सक्षम न्यायालय के साथ सीसीएफ और डीएफ ओ को भेज दी जाती है, तो वाहन की जप्ति के लिए राजसात की पूरी कार्यवाही फ ॉलो करनी पड़ती है । भले ही इस कार्यवाही में एसडीओ प्राधिकृत अधिकारी वाहन को राजसात करें या मुक्त । फि र उसका अंतिम निराकरण सीसीएफ स्वमोटो, या अपील के दौरान करें, लेकिन विगत कुछ माह पूर्व सब डिविजन की रेंज टीकमगढ़ की बीट बड़ागांव के कंपार्टमेंट नंबर आरएफ 105 सोरयाना मुहल्ला में जो अतिक्रमित क्षेत्र है, के अंतर्गत दिनांक 22 जनवरी 24 की रात्रि 01 बजे बीटगार्ड और रेंजर टीकमगढ़ की टीम ने बोर बैल करते हुऐ, एक बोरिंग मशीन जो डीलिंग न होने के कारण जप्त की गई थी, जिसकी मांग पूरी न होने के कारण रेंजर और एसडीओ ने मिलकर विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए मामौन डिपो टीकमगढ़ में सुरक्षित रखवा लिया था। इसके वाद रेंजर टीकमगढ़ द्वारा अपने अधिकारियों की नजरों में गुडी गुडी बनने के लिए सामान्य सूचनाएं, जो बिना राजसात की कार्यवाही के सामान्य लेटर में एसडीओ टीकमगढ़ को भेजी गईं थी ।
आदेश को किया दरकिनार, तो उठने लगे सवाल….
जिसके बाद वन विभाग मुख्यालय भोपाल के परिपत्र क्रमांक 3922 दिनांक 03 नवम्बर 2001 के परिपालन, जिसमें राजसात की कार्यवाही किए जाने के स्पष्ट निर्देश हैं, कि वन अपराधों में संलिप्त वाहन जो राजसात की कार्यवाही के लिए उपयुक्त हैं। ऐसे वाहनों के लिऐ प्राधिकृत अधिकारी जो एसडीओ टीकमगढ़ हैं, उनको बंधनकारी था, कि वो इन जप्त वाहनों को राजसात की सूचना राजसात की कार्यवाही प्रस्तावित करने के लिए सक्षम क्षेत्राधिकार वाले जिला न्यायालय के न्यायाधीश के साथ-साथ सीसीएफ एऔर डीएफओ को भेेजें, जिसके बाद एसडीओ टीकमगढ़ के द्वारा पत्र क्रमांक 138 दिनांक 24 जनवरी 0124 के माध्यम से न्यायालय और पत्र क्रमांक 139 दिनांक 24 जनवरी 24 के माध्यम से प्रतिलिपि के रुप में छतरपुर सीसीएफ , टीकमगढ़ डीएफ ओ और रेंजर टीकमगढ़ को भेजी जाकर राजसात की कार्यवाही शुरू न करते हुऐ पूर्व के सुनियोजित प्रयास और डीलिंग के अनुसार डीलिंग होने के बाद सफल होने पर एसडीओ टीकमगढ़ के द्वारा रेंजर टीकमगढ़ को प्रेषित अपने पत्र क्रमांक 241 दिनांक 05 फरवरी 2024 के माध्यम से शासकीय अभिलेख और न्यायालय के अभिलेख में कांट छांट करके और विशेष रकम को बसूल करते हुए उस रकम सभी जगह पहुंचाकर और खुद अपना पेट भरकर नियमों को धता बताते हुऐ जप्त बोरिंग मशीन वाहन क्रमांक केए 01 एमएल 9095 कंपरेसर मशीन वाहन क्रमांक केए 01 एमएल 9096 एवं 12 नग क्रेशिंग पाइप, 01 नग टूल बॉक्स और 01 नग स्टेपनी सहित जप्त सामग्री के लिए प्रतिकर राशि 25314 रुपए नियम विरुद्ध जमा कराने का आदेश जारी करके नियमों को ताक पर रखकर रेंजर टीकमगढ़ को वन अपराध प्रकरण क्रमांक 235/15 दिनांक 22 जनवरी 24 में जप्त वाहन को मय अन्य जप्त सामग्री के छोडऩे के आदेश प्रसारित किए गए, जो राजसात की कार्यवाही और शासन के आदेशों के विरुद्ध है।
क्या प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई की उठाएगा जहमत…
रेंजर टीकमगढ़ ने जो प्यास नोरादेही अभ्यारण में पूरी नहीं हुई, उसको टीकमगढ़ रेंज में पूरी करते हुऐ, पूरी की जाकर अपने पत्र क्रमांक 146 दिनांक 07 फरवरी 2024 के एसडीओ के आदेश की पालना करते हुऐ मामौन डिपो प्रभारी को आदेशित करके नियम विरुद्ध जप्त वाहनों को आधी-अधूरी कार्यवाही के बीच छुड़वा दिया। जिस पर वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा संज्ञान लिया जाना आवश्यक है, क्योंकि इसी प्रकार के प्रकरण में तत्कालीन छतरपुर एसडीओ वाईएस परमार जो वर्तमान में सेवा निवृत हो चुके हैं, उनको शासन स्तर से निलंबित कर दिया गया था। अब देखना ये है कि जिम्मेदार अधिकारी इस प्रकार के नियम विरुद्ध कृत्य से पर्दा झाड़ते हैं या फिर एसडीओ अमिता केबी और रेंजर सौरव जैन के विरुद्ध कार्यवाही करते हैं। यदि कोई कार्यवाही शासन स्तर से नहीं होती है, तो उसका सीधा सीधा मतलब ये होगा कि नियम केवल और केवल वर्दी पहनने वाले अधीनस्थ वन विभाग वालो के लिए हैं, या फि र भोली भाली जनता के लिए हैं, न कि आईएफ एस के लिए । जब शासन की राजसात की कार्यवाही की गाइड लाइन और नियमों के संबंध में सीसीएफ छतरपुर, डीएफ ओ टीकमगढ़ और संरक्षण एपीसीसीएफ से उनका पक्ष जानना चाहा तो कुछ ने फ ोन उठाकर गोल मोल जवाब देकर पल्ला झाड़ा और कुछ ने तो फ ोन उठाना ही मुनासिब नहीं समझा। खबर लिखे जाने तक मीडिया वालों और खबर देने वाले वनकर्मियों को इस कृत्य में शामिल वन अधिकारीयों द्वारा देख लेने और नुकसान करने की बातें उजागर रुप से बाजार में सुनी गई। अब देखना है कि मामला उजागर होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जाते हैं।
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