शकील खान मनावर
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को हिंदुओं की जीत बताकर, संकुचित, छोटा , मत कीजिए, उसका मानव इतिहास में स्थान बहुत बड़ा है । यह अत्याचार, हिंसा और अकल्पनीय क्रूरता पर सत्य, न्याय, धैर्य, सतत प्रयास और लक्ष्य के प्रति समर्पण की जीत है।

यह इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, कि आप शक्ति के दम पर भौतिक संसार पर विजय पा सकते हैं, शरीर को बंदी बनाकर मनचाहे अत्याचार कर सकते हैं, उसकी आस्था का तात्कालिक तौर पर दमन भी कर सकते हैं, किन्तु सच्ची गहन आस्था को नष्ट नहीं कर सकते, वह सैकड़ों वर्षों बाद भी पुनः प्रतिष्ठित होगी।
सत्य, प्रेम, न्याय, सद्भावना, कर्तव्यपरायणता मनुष्य जाति की सहज श्रेष्ठ भावनाएं हैं, इन्हे ही भारत ने *सनातन धर्म* कहा है। देश काल से परे, परमशक्ति की विभिन्न आराधना एवं पूजा पद्धतियों के बीच, मानवता के ये मानदंड शाश्वत हैं । सभी संस्कृतियों ने इन्ही गुणों से युक्त मनुष्य को श्रेष्ठ स्वीकार कर, उन्हें सम्मान दिया है , उनका अनुकरण किया है ।
जैसे अग्नि का धर्म ज्वलनशीलता है जल का धर्म शीतलता है, वैसे ही मनुष्य का स्वाभाविक धर्म है सत्य और प्रेम ।
मानव इतिहास की इस अभुतपूर्व घटना ने सनातन मानव धर्म को, सत्य, प्रेम और न्याय को, 500 वर्षों के पश्चात पुनः प्रतिष्ठत किया है । इसका इसी रूप में स्वागत किया जाना चाहिए।










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