उर्दू भाषा का हिंदीकरण करने का चल रहा षडयंत्र: उमर कासमी  बिना प्रशासनिक अनुमति बीईओ और शिक्षकों ने उर्दु स्कूल को हिंदी माध्यम में किया तब्दील

इरफान अंसारी sj न्यूज एमपी

उर्दू भाषा का हिंदीकरण करने का चल रहा षडयंत्र: उमर कासमी

बिना प्रशासनिक अनुमति बीईओ और शिक्षकों ने उर्दु स्कूल को हिंदी माध्यम में किया तब्दील

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव उमर कासमी ने बीईओ और शिक्षकों पर कि एफआईआर दर्ज करने की मांग

खरगोन। एमपी को यूंही अजब- गजब नही कहा जाता, यहां होने वाले कारनामे किसी अजुबे से कम नही होते। ऐसा ही एक अनोखा कारनामा शिक्षा विभाग खरगोन में उजागर हुआ है,जहां उर्दू स्कूलों के उन्नयन के बजाय इनके हिंदीकरण करने पर जोर देने का प्रयास किया जा रहा है। यह मनमानी कही ओर नही बल्कि जिला मुख्यालय पर हो रही है। यहां विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) द्वारा बिना किसी प्रशासनिक अनुमति या अनुमोदन के उर्दु स्कूल को हिंदी माध्यम में तब्दील कर दिया गया है। यह खुलासा मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव मोहम्मद उमर कासमी ने किया है। कामसी ने प्रदेश के मुख्य सचिव को शिकायती आवेदन सौंपकर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर बीईओ कुशवाह और शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

कासमी ने बताया कि बगैर सरकार और शिक्षा विभाग की अनुमति और अधिसूचना के ही शहर की सबसे पुरानी शाला उर्दू माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 6 जो 1932 से उर्दू स्कूल के रुप में संचालित हो रही थी। श्री कासमी ने आरोप लगाया कि मुस्लिम बच्चों को अपनी मूल भाषा से जोड़े रखने के साथ ही उर्दू जैसी प्राचीन भाषा को जीवित रखने के बजाय इसे कुछ शिक्षकों के द्वारा धीरे- धीरे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें न केवल बीईओ खरगोन बल्कि प्रशासन एवं सहायक आयुक्त खरगोन जनजाति कार्य विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी की मौन स्वीकृति भी नजर आ रही है, क्योंकि वर्ष 2017-18 से शिक्षको ने अपने निजी स्वार्थ के लिए इस स्कूल को हिंदी में तब्दील कर दिया है। इतने बड़े पैमाने पर बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के स्कूल के माध्यम (भाषा) को परिवर्तन करना केवल बीईओ के निर्णय तक सीमित नजर नही आती, यदि ऐसा नही है तो प्रशासनिक अधिकारियों, जिला शिक्षा विभाग की उदासीनता या लापरवाही है जो बीईओ की मनमानी पर लगाम नही लगा पाए।

संयुक्त कलेक्टर खरगोन ने अपने पत्र क्रमांक / शिकायत – सतर्कता /2023 /8190 दिनाँक 8/8 /2023 विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री कुशवाहा को तत्काल निलंबन की कार्यवाही करने और उच्च स्तरीय जांच करने के सहायक आयुक्त महोदय खरगोन को आदेश कर दिए हैं मगर अफसोस की बात है कि सहायक आयुक्त महोदय खरगोन कुंभकर्ण की नींद सोए हुए हैं इसी तरह भोपाल मंत्रालय से भी श्री कुशवाहा के निलंबन के लिए पत्र मध्य प्रदेश शासन आदिमजाति कल्याण विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक /आर – 3883/2019/1/25 भोपाल दिनाँक 20 /12/2019 मे विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री कुशवाहा को निलंबित करने का आदेश श्री अभिषेक सिंह उप सचिव आदिमजाति कल्याण विभाग मंत्रालय भोपाल के द्वारा आयुक्त आदिवासी विकास विभाग भोपाल को दिया गया मगर ये भारतीय मुद्रा का कमाल देखिए कि विभाग के अधिकारियों ने इस आदेश को भी दबा दिया और आज तक श्री कुशवाहा की विभागीय जांच तक नहीं की गई है

कासमी ने आरोप लगाया कि ऐसा नही है कि इतने बड़े बदलाव की शिकायत नही कि, उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी सहित सहायक आयुक्त कार्यालय को कई शिकायतें की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। कासमी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कलेक्टर एक ओर जहां शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए नियमित रुप से स्कूलों की जांच करा रहे है, जबकि उन्हीं के अधिनस्थ मुख्यालय पर चल रही स्कूल में माध्यम बदले जाने की शिकायत को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं उर्दू के खिलाफ उनकी मंशा को जाहिर करता है।

अंगद के पैर की तरह पदस्थ है बीईओ कुशवाह

कासमी ने शिकायत में बताया कि वे 2019 से इस मामले को लेकर शिकायत कर रहे है। लेकिन न तो बीईओ कुशवाह पर कार्रवाई हुई न ही स्कूल में किए गए बदलाव में सुधार किया गया है। कासमी ने बताया कि पिछले 15 साल से कुशवाह जिले में पदस्थ है, क्या कारण है कि शिक्षा विभाग जैसे बच्चों के भविष्य को संवारने वाले विभाग में किसी भाषा को लेकर ओछी सोच रखने, मनमाने निर्णय लेने वाले अधिकारी पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नही हो रही? शासन के नियमानुसार 3 साल में इनका अन्यंत्र स्थानांतरण नही हो रहा? क्या इन पर किसी प्रशासनिक अधिकारी का हाथ है या किसी राजनेता की छत्रछाया? कासमी ने कहा कि जिले के प्रशासनिक अमले के इस रवैये से प्रतीत होता है कि उर्दू भाषा बाजार की शक्तियों का शिकार हो गई है।

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