मोहन शर्मा SJ न्यूज एमपी
सागर। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है, तो तमाम कर्मचारी संगठन शिवराज सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं। इसी कड़ी में अध्यापक संवर्ग में शामिल किए गए प्रदेश के 3 लाख शिक्षक, नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता की मांग को लेकर आगामी 23 जुलाई को राजधानी भोपाल में हल्ला बोल करने वाले हैं। प्रदेश के तमाम जिलों से शिक्षक राजधानी भोपाल पहुंचेंगे और मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग रखेंगे शिक्षकों का कहना है कि संविलियन के नाम पर शिवराज सरकार ने 2018 में हमारी वरिष्ठता को समाप्त कर दिया है। इसके कारण हमें मिलने वाले कई लाभ समाप्त हो गए हैं। चुनावी साल में हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री संवेदनशीलता के साथ विचार करें नहीं तो लोकतंत्र में सभी स्वतंत्र होते हैं।
शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की बनाई रणनीति
प्रदेश भर के 3 लाख शिक्षक नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं। इसी कड़ी में सागर संभाग के शिक्षकों का एक सम्मेलन सागर में आयोजित किया गया, जिसमें मध्य प्रदेश के शिक्षकों को नए-नए पद नाम से नियुक्त करने से मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग की छवि खराब होने की बात कही गई, तो वहीं शिक्षकों से मूल कार्य ना करवा कर दूसरे विभागों के कार्य कराए जाने पर सवाल खड़े किए गए। वहीं, शिक्षकों की नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता अंकित ना कर नए दिनांक से वरिष्ठता सूची में नाम अंकित करने को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार के खिलाफ आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई गई. संभाग स्तर पर एकत्रित हुए शिक्षकों ने अपनी मांगों के समर्थन में विचार विमर्श किया है।
हमारी प्रमुख मांगों पर गंभीरता से सरकार करे विचार
मकरोनिया स्थित निजी मैरिज गार्डन में आयोजित संगोष्ठी में संभाग के साथ प्रदेश के कई शिक्षकों ने आगामी रणनीति को लेकर विचार विमर्श किया. शिक्षकों ने बताया कि ये चुनावी साल भी है। सरकार को हमारी प्रमुख मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा मांगें न माने जाने पर अन्य विकल्प भी खुले रखने की बात इन शिक्षकों ने कही है।
आर-पार की लड़ाई की तैयारी
शासकीय शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक आरिफ अंजुम का कहना है कि 3 लाख अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों का नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता की मांग को लेकर सम्मेलन आयोजित किया गया था. क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार ने 1995-96 से नियमित शिक्षकों की सेवा शर्तों और उनके मूल पद नाम से हटकर नए-नए पद नाम से नियुक्त कर और नई सेवा शर्तों के रखने का काम किया, जिससे मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग की छवि खराब हो रही है और शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है. शिक्षक छात्र और अभिभावक ऐसी नीतियों से सब परेशान हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर हम सारे अध्यापकों की मांग थी कि हमें शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए और मूल पदनाम दिया जाए, लेकिन एक जुलाई 2018 से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने हम लोगों को मूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने के स्थान पर एक और कैडर दे दिया है और हमारी 20 वर्ष की वरिष्ठता समाप्त कर दी है। इससे हम अध्यापक संवर्ग के लोगों को जो क्रमोन्नति और ग्रेजुएटी का लाभ प्राप्त होता था, वह भी समाप्त हो गया है।
आरिफ अंजुम ने कहा कि हमारी शिवराज सरकार से मांग है कि हमें वरिष्ठता दी जाए, ताकि क्रमोन्नति, ग्रेजुएटी और भविष्य में लागू होने वाली पेंशन का लाभ मिल सके. चुनाव के समय 3 लाख अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों और उनके परिजनों का समुचित लाभ लेने के लिए शिवराज सरकार हमारी मांग पर अवश्य विचार करें, ऐसी हमारी आशा है। अन्यथा चुनाव पास में हैं और लोकतंत्र में जो होता है। वह करने के लिए हम विवश होंगे।
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