नीरज दांगी Sj news, अशोकनगर।
ग्राम ककरूआ राय में ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास की बाट जौह रहे हैं। बिन पीएम आवास के रह रहे ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में छत से पानी टपकता है। लेकिन हमें आवास पंचायत नहीं दे पा रही है। ग्राम के जोगीपुरा बस्ती में जोगी समाज के लोगों ने यह बात बताई। उन्होंने कहा पूरी बस्ती में दो आवास स्वीकृत हुये हैं। यहीं नहीं लंबे समय बस्ती में पाइप लाइन होने के बाद भी टोटियों में पानी नहीं आया।सचिव पर लगाये आवास के एवज में 4 हजार लेने के आरोप-प्रधानमंत्री आवास की बात करें तो ग्राम पंचायत द्वारा सर्वे न कराये जाने से ग्रामीण परेषान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम रोजगार सहायक गांव में न रहकर नगर में रहता है। इस कारण उससे बात करने के लिये परेषान होना पड़ता है। फोन उठाता नहीं है इससे हमारे काम नहीं हो पा रहे हैं। सचिव भी कभी कभार आते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि आवास के लिये सचिव 4-5 हजार की मांग करते हैं। कहते हैं माल दोगे तो काम होगा। बीपीएल कार्ड के बारे में भी यहीं कहते हैं कि 3-4 हजार में आपका कार्ड बनेगा। होदी का निर्माण किये बगैर लगाये बिल-पंचायत में बिना निर्माण किये ही बिल लगा दिये गये। ग्रामीणों ने बताया कि चार स्थानों पर होदी निर्माण हो चुकी है ऐसा करते हुये सचिव व सरपंच ने मिलीभगत कर 1 लाख के बिल भुगतान के लिये लगा दिये। जबकि मौके पर कोई काम नहीं किया। ग्रामीणों का कहना है कि ई कक्ष के पास व पंचायत भवन के पास पूर्व से ही एक-एक पानी की होदी हैं नया कोई निर्माण नहीं हुआ है। इसी तरह ग्राम चिरोला में गौंड महाराज के पास और इमली वाले कुआ के पास भी होदी निर्माण को दर्षाते हुये चार बिल भुगतान के लिये 31 मई को लगा दिये हैं जबकि मौके पर कोई काम नहीं किया गया। सचिव भंवरलाल का कहना है कि होदी का निर्माण कराया जाना है। वहीं पंचायत मरम्मत के लिये उन्होंने 49 हजार की राषि स्वीकृत होना बताई। भवन की सिर्फ पुताई करवाई गई है।टोटीं लगाईं पानी के इंतजार में ग्रामीण-ग्राम में ग्रामीणों की सरकार की योजना का लाभ मिलना चाहिए था। लेकिन ठेकेदार और उपयंत्री की मिलीभगत से ग्रामीण आज भी सरकारी नल जन योजना से वंचित हैं। ठेकेदार द्वारा डाली गई लाइन आज भी सूखी है यहां तक कि बस्ती के साथ-साथ पूरे गांव के घरों में पानी नहीं पहंुच पा रहा है। जिससे ग्रामीण व्यवस्था को कोस रहे हैं। इस संबंध में काम करने वाले ठेकेदार राजेष षर्मा का कहना है कि योजना को सरपंच के हैंडओवर कर दी है और मैंने अपना काम कर दिया है। जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्या हुआ दो साल से टोंटी सूखीं हैं तब उनका जबाव गोलगोल रहा। उन्होंने बताया कि कनेक्षन हो गये हैं। पानी जाता है पहंुच नहीं पाता। रास्ते में फैलता रहता है। उन्होंने अपना पल्ला झाड़कर उपयंत्री की गलती को बताया। खुद की खूब तारीफ की। बहारहाल सरकार की नल जल योजना धरातल पर कितनी कारगार साबित हुई है वह तो मौके पर जाकर ही देखा जा सकता है। लेकिन ठेकेदारों द्वारा बरती जा रही लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ता है।
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