बुंदेलखंड राजनैतिक दलों का बना अखड़ा: सियासी पहलवानों का पारा आसमान पर, यहां से निकलेगी सत्‍ता की चाभी

मोहन शर्मा SJ न्यूज एमपी

बुंदेलखंड को भारत का मध्‍य हिस्‍सा माना जाता, अतीत में इस क्षेत्र की पहचान जुझौती और जेजाकमुक्ति के रूप में होती थी l चार दशकों से बीजेपी और कांग्रेस के बीच केंद्रित मध्‍य प्रदेश की राजनीति अब त्रिकोणीय हो चली है, मध्‍य प्रदेश में हो रहे इस राजनीतिक बदलाव में सबसे बड़ी भूमिका बुंदेलखंड क्षेत्र अदा कर रहा है l दरसअसल, बीते कुछ वर्षों में बहुजन समाज पार्टी ने बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाली मध्‍य प्रदेश की 30 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है l बीते विधानसभा चुनाव 2018 की बात करें तो बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाली 30 सीटों में से 1 पर बीएसपी दूसरे स्‍थान पर और 15 पर तीसरे नंबर पर रही थी l इतना ही नहीं, इस चुनाव में बीएसपी करीब 19 फीसदी तक वोट हासिल करने में सफल रही थी एल बुंदेलखंड में बीएसपी का बढ़ता जनाधार अब न केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है lयही वजह है कि बीते 15 सालों से विपक्ष की राजनीति कर रही कांग्रेस सत्‍ता वापसी के लिए बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती थी l यह बात दीगर है कि कांग्रेस की यह कोशिश आखिरी वक्‍त पर परवान नहीं चढ़ सकी lबुंदेलखंड का भौगोलिक परिदृश्‍य…..बुंदेलखंड के अंतर्गत कुल 14 जिले आते हैं, जिसमें उत्‍तर प्रदेश के स्थित सात और मध्‍य प्रदेश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में स्थित सात जिले शामिल हैं l बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाले उत्‍तर प्रदेश के सात जिलों में चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, झांसी, जालौन और ललितपुर शामिल हैं lवहीं मध्‍य प्रदेश की अंतर्गत आने वाले बुंदेलखंड के सात जिलों में छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह और दतिया शामिल हैं l मध्‍य प्रदेश के अंतर्गत आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के सात जिलों में कुल 30 विधानसभाएं हैं l सर्वाधिक 6 विधानसभा क्षेत्र छतरपुर जिले में है, जबकि सबसे कम 3-3 विधानसभा क्षेत्र दतिया और पन्‍ना जिले में हैं lअतीत में जेजाकमुक्ति के नाम से जाना जाता था बुंदेलखंड……बुंदेलखंड को भारत का मध्‍य हिस्‍सा माना जाता है l अतीत में इस क्षेत्र की पहचान जुझौती और जेजाकमुक्ति के रूप में होती थी, अतीत में इस क्षेत्र को शबर, कोल, किरात, पुलिंद और निषादों का राज्‍य माना जाता था l इस क्षेत्र के विभिन्न शासकों में मौर्य, सुंग, शक, हूण, कुषाण, नाग, वाकाटक, गुप्त, कलचुरी, चन्देल, बघेल, गौड़, मराठा शामिल हैं, 9वीं शताब्‍दी में इस क्षेत्र में बुंदेला का शासन आया l जिसके बाद इस क्षेत्र को बुंदेलखंड के रूप में नई पहचान मिली lदस्‍तकारी के लिए प्रसिद्ध है, बुंदेलखंड……मौजूदा दौर में बुंदेलखंड की पहचान देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र के रूप में होती है l जैसे ही जेहन में बुंदेलखंड का नाम आता है, हमारे दिमाग में गरीबी, भूख, सूखा, बीहड़ और डकैतों की तस्‍वीर कौंधने लगती है l इस आंशिक सच्‍चाई के बीच हकीकत के और भी पहलू हैं, जिसमें बुंदेलखंड की दस्‍तकारी भी शामिल है l सदियों से बुंदेलखंड चंदेरी के कपड़े, कपड़ों में जरी के काम के लिए प्रसिद्ध रहा है lइतना ही नहीं, दतिया, ओरछा, पन्ना और छतरपुर बनने वाले मिट्टी के बर्तन की ख्‍याति दूर-दूर तक है l इस क्षेत्र में लकड़ी और पत्‍थर की नक्‍काशी के लिए भी मशहूर है l यहां बनने वाली जाजम, दरी, कालीन, कंबल, चटाइयां, बच्चों के लेटने के लिए चंगेला, टोकनियां, चुलिया-टिपारे, हाथ के पंखे, बंदूक के कुन्दे, नाल भी खासे मशहूर हैं l

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