अब सकतपुरवासी बोले, हम गांव में ही ठीक, नहीं चाहिए नगर निगम की महंगी व्यवस्था
_गुना जिले की नगर निगम सीमा विस्तार को लेकर एक बार फिर ग्रामीणों का विरोध सामने आया है। कुछ समय पूर्व हरिपुर ग्राम पंचायत के रहवासियों द्वारा नगर निगम में शामिल होने के प्रस्ताव का विरोध किया गया था, अब इसी राह पर चलते हुए ग्राम सकतपुर के ग्रामीणों ने भी अपनी पंचायत को नगर निगम में शामिल न किए जाने की मांग उठाई है। मंगलवार को जनसुनवाई में ग्राम सकतपुर के निवासी अभय प्रजापति ने कलेक्टर को एक आवेदन सौंपा, जिसमें सकतपुर पंचायत को नगर निगम से अलग रखने की मांग की गई है। इस आवेदन पर गांव के कई अन्य ग्रामीणों के हस्ताक्षर भी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सकतपुर गांव में अभी तक पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत मूलभूत सुविधाएं सुचारु रूप से मिल रही हैं और वर्तमान में वहां के रहवासी बहुत कम खर्च में अपनी आवश्यक सेवाओं का लाभ ले पा रहे हैं।
_*किफायती सेवाएं ग्रामीणों की प्राथमिकता*_
ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में ग्राम पंचायत की व्यवस्था के तहत उन्हें मात्र 51 में बिजली कनेक्शन की सुविधा मिल रही है। साथ ही हाउस टैक्स की दरें भी काफी कम हैं। वहीं पेयजल सुविधा के तहत हर घर तक नल कनेक्शन उपलब्ध है, जिसकी देखरेख पंचायत के माध्यम से हो रही है। गांव की अधिकांश सडक़ों का पक्कीकरण भी हो चुका है और शिक्षा, साफ-सफाई सहित अन्य सेवाएं संतोषजनक स्तर पर कार्यरत हैं। अभय प्रजापति ने बताया कि यदि ग्राम पंचायत को नगर निगम में शामिल कर दिया गया, तो ग्रामीणों पर आर्थिक भार बढ़ जाएगा। नगर निगम क्षेत्र में आने के बाद हाउस टैक्स की दरों में कई गुना वृद्धि हो सकती है और साथ ही नल व बिजली बिल भी महंगे हो जाएंगे, जिससे गरीब और निम्न आय वर्ग के परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा।
_*विकासशील है सकतपुर, निगम में शामिल होने की जरूरत नहीं*_
ग्रामीणों का कहना है कि सकतपुर पहले से ही एक विकासशील पंचायत है, जहां पंचायत द्वारा स्कूल, नाली-निर्माण, स्ट्रीट लाइट, सडक़ मरम्मत सहित कई कार्य समय-समय पर कराए जाते हैं। ऐसे में नगर निगम में शामिल होकर सुविधाएं और महंगी होने की संभावना के अलावा, स्थानीय समस्याओं के समाधान में देरी भी हो सकती है।
_*सामूहिक रूप से किया गया विरोध*_
इस आवेदन में केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे गांव की चिंता झलक रही है। आवेदन पत्र में कई लोगों के हस्ताक्षर हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह विरोध किसी एक व्यक्ति की सोच नहीं, बल्कि एक सामूहिक निर्णय है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाए और सकतपुर ग्राम पंचायत को नगर निगम सीमा में शामिल न किया जाए।
_*प्रशासन की अगली कार्यवाही पर नजर*_
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस आवेदन पर क्या रुख अपनाता है। क्या ग्रामीणों की बात को महत्व दिया जाएगा, या फिर शासन की योजना के तहत सकतपुर को भी नगर निगम में शामिल कर लिया जाएगा? जनसुनवाई में प्रस्तुत यह मांग जिले में नगर निगम विस्तार को लेकर चल रहे विमर्श में एक नया आयाम जोड़ती है।
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