जानें सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व और विधि
रायसेन जिले के बेगमगंज में अचार्य पंडित कपिल नारायण जी महाराज तिनसुआ वाले एवं पं बसंत नारायण अंकित चौबे पार्थ शिवलिंग निर्माण का कार्यक्रम चलता हुआ नरसिंह मंदिर चोर बावड़ी इंदिरा नगर कॉलोनी मे जिसमें द्वितीय दिवस सभी मोहल्ला वासियों ने शिव जी का अभिषेक किया बिल पत्र चढ़ाकर अपनी मनोरथ मनोकामना पूर्ण की। सावन के पवित्र माह में पार्थिव शिवलिंग की पूजा कर भक्त अपने जीवन को सफल, सुखी और समृद्ध बना सकते हैं। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी। शिवलिंग की पूजा के अलग- अलग फल बताए गए हैं, लेकिन सभी प्रकार के शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है। यह पूजा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावी माध्यम है। सावन के पवित्र माह में पार्थिव शिवलिंग की पूजा कर भक्त अपने जीवन को सफल, सुखी और समृद्ध बना सकते हैं।
कलयुग में शिव जा का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था जिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही है। शास्त्रों में वर्णित है कि शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा पराक्रम पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। लिंग पुराण में भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से पार्थिव शिवलिंग की पूजा करता है उसके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है,समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही है, वे सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करें तो उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान मिल सकता है।मान्यता है कि जिन युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा है, वे सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करें तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
Leave a Reply