सुप्रीम कोर्ट ने NEET परीक्षा के मुद्दे पर SIO की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए फ़ैसला सुनाया है कि जिन केंद्रों पर छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, वहां पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी, जबकि अन्य छात्रों के लिए काउंसलिंग और एडमिशन की प्रक्रिया सामान्य रूप से जारी रहेगी

इरफान अंसारी उज्जैन

सुप्रीम कोर्ट ने NEET परीक्षा के मुद्दे पर SIO की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए फ़ैसला सुनाया है कि जिन केंद्रों पर छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, वहां पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी, जबकि अन्य छात्रों के लिए काउंसलिंग और एडमिशन की प्रक्रिया सामान्य रूप से जारी रहेगी।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी प्रकार की अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द करने का अधिकार कोर्ट के पास रहेगा।

वे 1,563 उम्मीदवार जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उनके स्कोरकार्ड रद्द कर दिए जाएंगे और उनके लिए पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी।

यह SIO के लिए आंशिक विजय है, जो न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। कोर्ट द्वारा अगली सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित की गई है, जिसमें SIO की याचिका पर पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों पर NTA से जवाब तलब किया गया है।

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नीट विवाद पर न्याय की मांग करते हुए एसआईओ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया*

नई दिल्ली: स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एसआईओ) ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में नीट (यूजी) 2024 परीक्षा प्रक्रिया में सामने आईं अनियमितताओं को संबोधित करते हुए एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। इस मामले को लेकर एसआईओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें नीट की काउंसलिंग को रोकने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित पूरी प्रक्रिया की एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है।

एसआईओ के राष्ट्रीय सचिव डॉ. रोशन मोहिद्दीन ने NTA की कार्यशैली और नोटिफ़िकेशन जारी होने के बाद से ही एक-के-बाद-एक होने वाली घटनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 15 दिन की मोहलत दिए जाने के बाद भी 9 अप्रैल को रजिस्ट्रेशन पोर्टल अचानक फिर से खोलना इसमें अनियमितताओं को दर्शाता है। इसके अलावा, बिहार में पेपर लीक और गुजरात और नोएडा में कदाचार की हालिया घटनाओं के परिणामस्वरूप गिरफ़्तारियों ने इस परीक्षा में निष्पक्षता और गोपनीयता पर भरोसा कम करने का काम किया है।

इसके अलावा, ग्रेस अंकों का आवंटन पारदर्शिता और जवाबदेही के बारे में गंभीर सवाल खड़े करता है। हालांकि NTA ने ‘समय की हानि’ के लिए ये अंक देने का दावा किया है लेकिन वे इस ‘समय की हानि’ को निर्धारित करने के लिए किसी मानदंड और कार्यप्रणाली को दस्तावेज़ित या पारदर्शी रूप से बताने में विफल रहे। इसके अलावा, विवरणिका में कोई जानकारी दिए बिना ही ट्विटर पर उनके द्वारा CLAT परीक्षाओं के बारे में 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला देना पूरी प्रक्रिया को लेकर संदेह बढ़ाने का काम करता है। यह बाद में दिया गया औचित्य परीक्षा प्रक्रिया में महत्वपूर्ण त्रुटियों या हेरफेर को छिपाने का एक प्रयास मात्र प्रतीत होता है। -20 से लेकर 720 तक के ग्रेस मार्क्स के आवंटन के पीछे का तर्क अस्पष्ट है। बिना किसी पूर्व सूचना के 1,600 उम्मीदवारों के लिए ग्रेस मार्क्स आवंटन को लेकर NTA की लापरवाही इसकी संदिग्ध मंशा को ज़ाहिर करती है। इसके अलावा, सदस्यों की पहचान का ख़ुलासा किए बिना एक उच्च स्तरीय समिति का गठन निष्पक्षता और ईमानदारी के बारे में गंभीर प्रश्न खड़े करता है।

एसआईओ के राष्ट्रीय सचिव अब्दुल्लाह फ़ैज़ ने इस वर्ष सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए काफ़ी कम योग्यता स्कोर पर बात की। उन्होंने इस तथ्य पर भी ज़ोर दिया कि ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमें यह चौंकाने वाला बात है कि कई छात्रों को पूर्ण अंक मिले हैं और टॉप 67 विद्यार्थियों में से आठ विद्यार्थी हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र से हैं। एक ही केंद्र में टॉपर्स की यह असंगत मौजूदगी परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर संदेह पैदा करती है।

इसके अलावा, उन्होंने पूरी प्रक्रिया के दौरान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी ज़ोर दिया। हाल ही में परिणाम जारी होने के बाद एक छात्रा की आत्महत्या ने अभ्यर्थियों की पीड़ा को और भी दुखद रूप से उजागर किया है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि एसआईओ प्रभावित छात्रों और उनके परिवारों के साथ एकजुटता में खड़ी है क्योंकि वे न्याय और इन महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान चाहते हैं।

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