केवल महुआ खरीद तक सीमित रह गई अपनी दुकान, जर्जर भवनों में लग रहीं आंगनवाड़ी केन्द्र
तेंदूखेड़ा- सरकार के वन मंत्रालय ने जंगली आदिवासी क्षेत्रों में बस रहे आदिवासियों की आय में इजाफा कराने रोजगार दिलाने की मंशा से जंगलों से प्राप्त होने वाली विभिन्न प्रकार की सामग्रियों को एकत्रित कर वन चोकियों में लाखों रुपए की लागत से बनाई गई अपनी दुकान में ले जाकर एक निर्धारित दरों पर विक्रय किया जाना है। इसमें 36 प्रकार की सामग्रियों को समाहित किया गया है। जिसमें महुआ चिरोंजी गाद हर्र बहेरा गुली विभिन्न प्रकार की छालें पत्ते प्रमुख रुप से शामिल हैं। जंगलों में रहने वाले आदिवासी इन्हें जंगलों से लाकर एक अच्छी अर्जित कर सकते हैं। लेकिन इस दिशा में वन समीतियों द्वारा अपेक्षाकृत प्रचार प्रसार ना करने के साथ साथ आदिवासी वर्ग द्वारा भी रुचि ना लेने की स्थिति में अपनी दुकानें केवल शोभा की सुपाड़ी बनकर रह गई है। केवल महुआ बीनकर ही उसी का विक्रय ही पिछले साल देखने को मिला था। लेकिन अन्य और कोई सामग्री यहां नहीं लाई जा रही है।
जर्जर भवनों में लग रहीं आंगनवाड़ी केन्द्र
कार्यकर्ता सहायिकाओं को नहीं मिल रही सुविधाएं
तेंदूखेड़ा- शासन की विभिन्न योजनाओं में धरातलीय स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं से काम तो खूब लिया जाता है लेकिन उनके हितों को लेकर सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही है। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब हम लोगों से शासन की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने को लेकर धरातल स्तर पर सहयोग लिया जाता है तो फिर समय पर मानदेय भी नहीं दिया जाता है। ऊपर से आंगनवाड़ी केन्द्र में गोदभराई, मंगल दिवस मनाये जाने को लेकर राशि भी अलग से नहीं दी जाती है ऐसी स्थिति में अलग से एक बोझ पड़ता है। विभागीय स्तर पर मोबाइल फोन तो उपलब्ध कराये गये हैं और इन्हीं के माध्यम से जानकारी भी दी जाती है लेकिन इनमें वेलेंस की व्यवस्था भी हमी कार्यकर्ताओं को करनी पड़ती है।पोषण आहार भी हर माह नहीं पहुंच रहा है।दो तीन माह में एक बार ही आ रहा है। और भी दवाएं जो बच्चों के स्वास्थ्य और गर्भवती महिलाओं के लिए भेजी जाती है वह भी नहीं आ रही है।
जर्जर भवन में लग रहीं आंगनवाड़ी
तेंदूखेड़ा सेक्टर में कुल छः आंगनवाड़ी केन्द्र आते हैं। इनमें तीन के स्वयं के भवन है तो तीन किराये के भवन में लग रहें हैं। स्वयं के भवनों की काफी गंभीर स्थिति बनी हुई है। वार्ड क्रमांक 09 में ऊपर की छाप का प्लास्टर नीचे गिरने के कारण राडें स्पष्ट दिखाई देने लगीं हैं।इस प्लास्टर को नीचे गिरनें को लेकर अनहोनी का अंदेशा बना रहता है। छोटे छोटे बच्चों के बीच कभी भारी प्लास्टर ना गिर जाये की अशंका बनीं रहती है।यह विषय अनेकों बार समाचार पत्रों के माध्यम से सर्वत्र भी किया गया लेकिन आज तक विभागीय स्तर पर किसी ने भी सुध नहीं ली है। आंगनबाड़ी पटवारी मुहल्ला वार्ड क्रमांक 05 में स्थित आंगनवाड़ी केन्द्र में दरवाजे जहां तहां से टूटने के साथ उनमें शराबियों द्वारा खाली बाटले डाल दी जाती है। जहां तहां से छाप उखड़ने के कारण भवन की स्थिति भी काफी गंभीर बनी हुई है। बड़ी ही अजीबो-गरीब स्थिति यहां पर देखने को मिल रही है। शासन द्वारा प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र में विद्युत मीटर तो लगवा दिए हैं। कनेक्शन भी हो गये हैं। लेकिन सबसे बड़ी विसंगति पूर्ण स्थिति यह देखने में आ रही है कि ना तो बल्ब है और ना ही पंखे फिर भी बिल हर माह आ रहे हैं। सबसे बड़ी एक और समस्या इन कार्यकर्ताओं के साथ चल रही है कि आंगनवाड़ी केन्द्र के अंतर्गत आने वाले कुपोषित बच्चों को एन आर सी भवनों में भर्ती करवाने या ढूंढ कर लाने का दबाव बनाया जाता है लेकिन कुपोषित बच्चों के पालक इन बच्चों को एन आर सी भवन में लेकर ही नहीं जाते हैं। और ना भर्ती करना चाहते हैं।
भवनों के आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने की जरूरत
तेंदूखेड़ा नगर परिषद क्षेत्र में बढ़ते जनसंख्या घनत्व को दृष्टिगत रखते हुए अधिकांश वार्डों में केंद्र खोले जाने की महती आवश्यकता है। छोटे छोटे बच्चों को मुख्य सड़क मार्गों से निकल कर काफी दूर इन केंद्रों पर जाना पड़ता है। वहीं वार्ड क्रमांक 11 में केंद्र खोले जाने को लेकर मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है। और पूर्व में भी यहां से नये केंद्र खोले जाने के प्रस्ताव बनाकर भेजे भी गये हैं। लेकिन वे नक्कार खाने में तूती की आवाज बनकर रह गये हैं।
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