रमजान का महीना बड़ी रहमतों और बरकतों का महिना है ,सुसनेर की सात वर्ष की निमरा शेख ने भी रखा रोजा

राजेश माली सुसनेर

रमजान का महीना बड़ी रहमतों और बरकतों का महिना है ,सुसनेर की सात वर्ष की निमरा शेख ने भी रखा रोजा

रमजान मुसलमानो के लिए 12 महीनो में से रमजान का महीना

सुसनेर। रमजान मुसलमानो के लिए 12 महीनो में से रमजान का महीना पवित्र और अफजल होता है। रमजान का पवित्र महीना चल रहा है जो 10 अप्रैल तक चलेगा एवं 11 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी। रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. सुबह की सेहरी के समय रोजे की शुरुआत की जाती है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोल लिया जाता है। नगर के नगर परिषद के कर्मचारी आबिद खान की सात वर्षीय बेटी निमरा ने भी इस बार रमजान महीने में अपना पहला रोजा रखा है। पवित्र रमजान के इस महीने में 20 रकात नमाज तराबी की पढ़ी जाती है और इन बीस रकातों में कुरान सुनाया जाता है। इस्लाम का सबसे पवित्र महीना रमजान है। इस्लामी कैलेंडर के नौंवे महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस महीने की शुरुआत चांद दिखने के बाद होती है. रमजान के दौरान मुस्लिम लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं।

रमजान का महीना खत्म होने के बाद ईद का त्योहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। रमजान में मुस्लिम लोग रोजा रखने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले ही सेहरी खा लेते हैं, जिसके बाद पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर खुदा का नाम लेते हैं और इबादत करते हैं। शाम को इफ्तार के समय रोजा खोल लिया जाता है।

माह ए रमजान में होते हैं तीन अशरे (भाग), हर अशरे का है अलग महत्व

एक अशरा 10 दिन का होता है जो अलग अलग नाम से जाने जाते है

पेहला अशरा राहमत का होता है

दूसरा अशरा मगफिरत का यानी गुनाहों की माफी का

तीसरा अशरा आग से खुलासिका यानी जहन्नम की आग से बचने का है।

रमजान के तीसरे हिस्से में पांच राते जागी जाती है जो बड़ी कीमती रातें होती है। इन रातों में शबे कद्र की रात आती है जिसमें अल्लाह सातवें आसमान पर आते हैं और हर अपने बंदों की मुराद पूरी करते है। यह रातें है जिसमें शबे कद्र आतीं हैं 21.23.25.27.29 इन रातों में मर्द औरत बच्चे जागते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं मर्द मस्जिद में और औरतें घर में अल्लाह की इबादत करते हैं। और इन्हीं दस दिन में ऐतेकाफ में मस्जिदों में मर्द और घरों में औरतें बैठती है। और इस महीने में गरीबों और यतीमों और विधवाओं को सदका फित्रा दान दिया जाता है।

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