मारपीट के आरोपी पिता-पुत्र को 1 वर्ष का सश्रम कारावास

लोकेंद्र सिंह परमार टीकमगढ़

मारपीट के आरोपी पिता-पुत्र को 1 वर्ष का सश्रम कारावास

टीकमगढ़। मारपीट के मामले में सुनवाई करते हुए श्रीमती गीता सोलंकी, विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटीज टीकमगढ़ ने घटना के आरोपी पिता-पुत्र को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 1-1 हजार रूपए का अर्थदंड किया गया है। मामले की पैरवी बलराम अहिरवार, विशेष लोक अभियोजक टीकमगढ़ और विवेचना एसडीओपी एससी बोहित ने की। जिन आरोपियों को सजा सुनाई गई है उनमें संदीप शुक्ला पिता जुगल किशोर शुक्ला, उम्र 24 वर्ष एवं जुगल किशोर पिता चंद्रभान शुक्ला, उम्र 55 वर्ष दोनों निवासी ग्राम रतवास, थाना बम्हौरी कलॉ जिला टीकमगढ़ के नाम शामिल हैं। उक्त मामले में पैरवीकर्ता विशेष लोक अभियोजक बलराम अहिरवार द्वारा घटनाक्रम के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि मामला थाना बम्हौरीकलॉ जिला टीकमगढ़ का होकर विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटीज टीकमगढ़ के न्यायालय में विचाराधीन था, जिसमें विशेष न्यायाधीश द्वारा मारपीट के आरोप में अभियुक्त संदीप शुक्ला एवं जुगल किशोर शुक्ला को धारा 325/ 34 भादंसं के अपराध में 01 – 01 वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो-दो हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया । बताया गया है कि 17 दिसम्बर 2018 को रात करीब 10: 00 बजे फरियादी गोविंद दास अहिरवार खाना खाकर ग्राम रतवास स्थित अपने घर से खेत पर जा रहा था। रास्ते में एक दुकान के सामने फ रियादी को आरोपी संदीप शुक्ला मिला और उससे गुटखा खिलाने के लिये कहा तो फ रियादी द्वारा पैसे न होने पर गुटखा खिलाने से मना करने पर आरोपी संदीप फ रियादी गोविंद की लात-घूंसों से मारपीट करने लगा, तभी आरोपी का पिता जुगल किशोर लाठी लेकर आ गया और उसने फ रियादी गोविंद के सिर में एक लाठी मारी जिससे वह जमीन पर गिर गया तभी गांव लोग आ गये और उन्होंने बीच- बचाव किया । फ रियादी द्वारा घटना की रिपोर्ट थाना बम्हौरीकलॉ में किये जाने पर आरोपीगण के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध कर प्रकरण का अनुसंधान किया गया । संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरूद्ध विचारण चलाये जाने हेतु अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया । विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा प्रकरण के सभी महत्वपूर्ण अभियोजन साक्षीगण को परीक्षित कराया गया एवं सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया गया । अभिलेख पर अभियोजन द्वारा प्रस्तुत की गई मौखिक, दस्तावेजी, चिकित्सीय साक्ष्य तथा अंतिम तर्क के आधार पर विशेष न्यायाधीश द्वारा अभियुक्तगण को दोषसिद्ध ठहराते हुए 01 – 01 वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो- दो हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया ।

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