लोकेन्द्र सिंह परमार टीकमगढ़
प्रशासन की आंखों में झोंकी डाक्टरों ने धूल, हिदायत देकर मामला किया ठंडा
सरकारी डॉक्टर के नाम खुला मेडिकल चैंबर्स, स्वास्थ्य विभाग ने की जांच

टीकमगढ़। डाक्टरों ने कम राशि का स्टांप पर किराएनामा तैयार किया, इतना ही नहीं उसमें नियमानुसार गवाह के दस्तख्त भी नहीं है। अवैध तरीके से तैयार दस्तावेजों की शिकायत को गंभीरता से न लिए जाने और हिदायत तक सीमित रखे जाने को लेकर अटकलों का दौर जारी बना हुआ है। बताया गया है कि यहां सरकारी डॉक्टरों के नाम पर शहर में शंकर मल्टी स्पेशलिटी मेडिकल चैम्बर्स एवं मेडिकोज चलाए जाने का मामला सामने आया था, सोसल मीडिया पर इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा, वैसे स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और उसके द्वारा जांच पड़ताल शुरू कर दी गई। जब पत्रकारों द्वारा जांच टीम प्रभारी डॉक्टर सिद्धार्थ रावत से बात की, उनके द्वारा बताया गया कि दो डॉक्टरों के यहां पर किराए से निवास की बात कही जा रही है। बाकी एक डॉक्टर जो की किराए से नहीं रहते। बताया गया है कि उनका नाम जो बोर्ड से हटाने की बात तो कही गई है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जब निवास किराए से लिया गया है, उसके नीचे मेडिकल चैंबर्स बनाए गए हैं, तो क्या यह नियम पूर्वक है या नहीं दूसरा सवाल यह है कि जो किरायानामा बनाया गया है, वह 100 रुपए के स्टांप पर है। जबकि इस मामले में लेकर एडवोकेट से बात की गई। उनके द्वारा बताया गया कि किरयाना कम से कम 500 रुपए के स्टांप पर बनाया जाता है, तो कहीं ना कहीं इस मामले में गड़बड़ नजर आती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच की बात कही गई है, लेकिन मेडिकल चैंबर्स में डॉक्टरों का बैठना वह भी शासकीय डॉक्टर का क्या यह है उचित है, जबकि जानकारी के अनुसार जो सूत्रों द्वारा दी गई है कि यहां पर किसी डॉक्टर का निवास नहीं है। डॉक्टर अन्य किसी स्थान पर निवास करते हैं, यहां पर सिर्फ मरीजों को देखा जाता है, अब यह तो एक जांच का विषय है। जांच रिपोर्ट क्या सामने नजर आती है और स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है या फि र मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, यह तो आने वाला समय तय करेगा। फि लहाल यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है कि शासकीय डॉक्टर एक नहीं दो डॉक्टर एक ही स्थान पर किराए से रह रहे हैं, जो की मौके पर नहीं पाए गए और मेडिकल के पीछे अपने चैंबर्स बनाकर मरीजों को देखने की बात सामने आई है, अब जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। शासन को राजस्व की हानि पहुंचाना और स्टाम्प की राशि को कम रखने के मामले में केवल हिदायत देने से अन्य डाक्टरों को क्या सबक मिल सकेगा या मकान मालिक और किराएदारों की मनमानी दूर हो सकेगी, यह एक बड़ा सवाल उभरकर सामने आ रहा है।े
स्टाम्प को बताया गलत-
इस संबन्ध में अधिवक्ता पंकज सोनी ने बताया कि किराएनामा पर दो गवाहों के हस्ताक्षर किए जाते हैं। इसके साथ ही यह किराएनामा 5 सौ रूपए के स्टांप पर तैयार किया जाता है। कम से कम राशि पांच सौ रूपए होनी चाहिए। इसके साथ ही किराएदार एवं मकान मालिक के हस्ताक्षर किए जाते हैं। स्टांप खरीदी के समय स्टांप पर खरीददार के हस्ताक्षर कराए जाते हैं। यदि हस्ताक्षर के बिना कोई स्टांप खरीदा या बेंचा जाता है, तो वह गलत है।
हिदायत देकर दस्तावेज सही कराने का दिया अवसर-
जांच कर्ता डाक्टर सिद्धार्थ रावत ने कहा है कि जांच के दौरान जिन डाक्टरों के नाम किराएनामा देखा गया, उन्हे दस्तावेज सही कराने की हिदायत दी गई। जांच के दौरान मकान मालिक का किराएनामा देखा गया। डाक्टरों को बता दिया गया है कि भविष्य में यहां मरीजों को न देखें। यहां तीन से पांच का समय लिखा गया है, जो अस्पताल का समय नहीं है। बताया गया है कि एक घंटे का समय दिया गया है। इस दौरान दस्तावेजों को दुरूस्त करने के लिए कहा गया है।










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