लोकेंद्र सिंह परमार
हर मस्तक- तिलक अभियान के तहत स्कूली बच्चों ने करवाया तिलक बंधन
हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा- अभिषेक खरे
टीकमगढ़। बुंदेलखंड के क्षेत्रों में स्कूली बच्चों द्वारा हर मस्तक तिलक अभियान के तहत स्वच्छा से तिलक बंधन करवाया गया। संतों के नेतृत्व में चलने वाले इस अभियान में छात्रों का विशेष उत्साह देखा जा रहा है। जिसमें सर्वप्रथम गुरुकुल कान्वेंट स्कूल में तिलक बंधन कार्यक्रम हुआ। विभिन्न संगठनों व अभिभावकों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज के व्यस्तम समय में जहां हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, वहीं हर मस्तक तिलक अभियान से हमें अपनी सनातन संस्कृति पर अनुभव और गौरव होता है । गौरतलब है कि यह अभियान संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र में 14 फरवरी बंसत पंचमी से फरवरी 21 तक चल रहा है, जिसमें सभी संतों व संगठनों ने शामिल हो रहे हैं व अपना समर्थन दे रहे हैं। हर मस्तक तिलक अभियान समिति के संयोजक अभिषेक खरे रानू ने बताया कि स्कूलों में बच्चों द्वारा स्वच्छा से उत्साहित भाव से हर मस्तक तिलक अभियान में शामिल हुए। छोटे-छोटे स्कूली विद्यार्थियों ने जब इस अभियान में शामिल हुए तो निश्चित है कि हम बड़े भी अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व करें। इस तरह के हमारे छोटे – छोटे प्रयासों से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा व देश उन्नति की ओर बढ़ेगा। श्री खरे ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने कहा कि जो देश व राष्ट्र अपने भूतकाल पर गर्व नहीं करता, वह निश्चित ही पतन की ओर बढ़ता है। उन्होंने वैज्ञानिक तर्क देते हुए कहा कि तिलक आज्ञा चक्र पर लगाने से याददाश्त बढ़ती है। आभामंडल तेज होना, आंखों के मध्य से माथे तक एक नस जाती है, कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। तिलक लगाते समय अंगूठी या उंगली के दबाव से रक्त संचार बढता है, चेहरे की त्वचा की रक्त संचार वाली मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है। अभिषेक खरे रानू की समिति ने एक क्यूआर कोड जारी किया है, जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र के युवा वर्ग के साथ-साथ सभी वर्ग अपने मोबाइल से हेशटैग, सेल्फ ी लेते हुए अपनी सनातन संस्कृति की पोस्ट तिलक लगाकर फ ोटो व वीडियो सोशल मीडिया एकाउंट पर एवं इस क्यूआर कोड पर अपलोड कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में भाग ले अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व करते हुए सभी तिलक लगाकर इस अभियान का हिस्सा बनें। किसी भी देश की उन्नति व उत्थान तभी संभव है, जब वह अपने राष्ट्र की संस्कृति व भावना पर सम्मान करें। उस पर गर्व करें। किसी देश की मूल भावना, संस्कृति ही उसका आधार है।
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