’बारहवीं में दो छात्र रहे अनुपस्थित,’मोक्षदायिनी है मां नर्मदा पं राम शंकर द्विवेदी

विपिन पटेल नरसिंहपुर

’बारहवीं में दो छात्र रहे अनुपस्थित’

तेंदूखेड़ा- माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित हायर सेकेण्डरी स्कूल प्रमाण पत्र परीक्षा में मंगलवार को शुरू हुई बारहवीं की परीक्षाओं में तेंदूखेड़ा क्षेत्र में सात हायर सेकंडरी परीक्षा केंद्रों पर कुल 1108 परीक्षार्थियों में 1106 छात्र उपस्थित रहे। इनमे मात्र कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परीक्षा केंद्र में दो छात्र अनुपस्थित रहे। यहां पर 320 में से 318 छात्र पहुंचे।वहीं लगभग सभी परीक्षा केंद्रों में सभी छात्र उपस्थित रहे। तेंदूखेड़ा सहित अन्य केंद्रों पर जिला स्तरीय प्रेक्षक दल निरीक्षण करने पहुंचे जिनमें जिला शिक्षा अधिकारी प्रमुख रुप से शामिल रहे। सभी केंद्रों पर परीक्षायें शांतिपूर्ण तरीके से शुभारंभ हुई है। तथा केंद्राध्यक्षों द्वारा भी अपने अपने केंद्रों पर पर्याप्त पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। परीक्षार्थियों को बैठने की व्यवस्था से लेकर अन्य सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई है। मंगलवार को हिंदी का प्रश्न पत्र सरल आया जिसे छात्रों ने अपने निर्धारित समय में पूरा किया।

’मोक्षदायिनी है मां नर्मदा पं राम शंकर द्विवेदी’

तेंदूखेड़ा- मां नर्मदा के प्रति लोगों की आस्था विश्वास दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है, मां नर्मदा के बढ़ते प्रभाव के कारण प्रत्येक नर्मदा तटों पर हर पूर्णिमा व अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु मां नर्मदा की पूजन अर्चन और स्नान करने पहुंचते हैं। मां नर्मदा ही एक मात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है ।सहस्त्रों नामो से मां नर्मदा के नाम का उच्चारण किया जाता है। उक्त अमृत बचन समीपी ग्राम उमाहा में चल रही श्री नर्मदा पुराण कथा के पंचम दिवस की कथा के दौरान पंडित श्री रामशंकर द्विवेदी ने व्यक्त किए।कथा व्यास ने बताया कि भगवान शिव के पसीने से नर्मदा मैया प्रकट हुई है, नर्मदा ने प्रगट होते ही अपने अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं प्रस्तुत कीं, जिसमें स्वयं शिव पार्वती चकित रह गए ।तभी उन्होंने नामकरण करते हुए कहा देवी तुमने हमारे दिल को हर्षित कर दिया इसलिए तुम्हारा नाम आज से नर्मदा के रुप में जाना जायेगा। इनका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है। मेखल पर्वत पर भगवान शंकर ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया, महारूपवती होने के कारण भगवान विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। कथा व्यास ने मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक एवं अन्य घाटों का मार्मिक वर्णन करते हुए बड़े विस्तार से मां नर्मदा की कथा का श्रवण कराया। लगातार पांच वर्षों से मां नर्मदा की परिक्रमा पूर्ण करने के उपरांत, शिब्बूलाल पत्नी जशोदा बाई कुशवाहा पुत्र बाबूलाल कुशवाहा द्वारा अपने माता-पिता की परिक्रमा पूर्ण होने के उपलक्ष में हर साल नर्मदा पुराण कथा का आयोजन किया जाता है। 2 फरवरी से विशाल कलश यात्रा के साथ शुरू हुई है यह सप्त दिवसीय कथा का समापन 8 फरवरी को विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा।

फोटो क्रं 02

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