वर्षो पूर्व पूर्वजों ने की मां अन्नपूर्णा की स्थापना, जैन परिवार द्वारा की जा रही पूजा अर्चना,नवमीं के दिन सभी के कल्याणार्थ हुआ हवन-पूजन व कन्या भोज।

वर्षो पूर्व पूर्वजों ने की मां अन्नपूर्णा की स्थापना, जैन परिवार द्वारा की जा रही पूजा अर्चना,नवमीं के दिन सभी के कल्याणार्थ हुआ हवन-पूजन व कन्या भोज।

शेख़ आसिफ़ ब्यूरो SJ न्यूज़ एमपी खंडवा

खंडवा। वर्षो से भगतसिंह वार्ड में जैन परिवार द्वारा मां अन्नपूर्णा मंदिर में नवरात्रि के दौरान घट स्थापना होती है। घट स्थापना के साथ पंडित कमलेश मार्कण्डेय द्वारा नित्य मां की आराधना के साथ दुर्गा सप्तसती की पूजा अर्चना एवं आरती की जाती है। नौ दिनों तक जैन परिवार भी पूरी तरह इस आराधना में शामिल होता है। सोमवार को दुर्गा नवमीं के दिन विश्व मे शांति, सुख समृद्धि एवं सभी के कल्याणार्थ माताजी की पूजा अर्चना के साथ हवन यज्ञ का आयोजन संपन्न हुआ। सुनील जैन ने बताया कि रावका व गदिया परिवार के पूर्वज जो कि राजस्थान मारवाड़ से आए है लगभग सौ वर्ष पूर्व यहां पर मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति की स्थापना की गई थी, जिसकी पूजा-अर्चना जैन परिवार द्वारा की जा रही है। इस वर्ष नवमीं पर आयोजित महायज्ञ के अवसर पर पंडित मार्कण्डेय ने कहा कि संसार में दो विधान है, पहला ऐहिक विधान, दूसरा ईश्वरीय विधान। ऐहिक विधान संसार का प्राणी बनाता है और विधान को तोड़कर बच जाता है, फिर उसे संसारी दुखों का सामना करना पड़ता है। ईश्वरीय विधान को भंग करने वाला व्यक्ति नाना प्रकार से दुख उठाता है, यह दुख हमें परमात्मा से मिलन कराते है। इसलिए परमात्मा ने जो त्यौहार बनाए ये हमें धार्मिक रास्ते पर ले जाते हैं और हमें धर्म ज्ञान का रास्ता दिखाते हैं। भगवती माया शक्ति हमें ईश्वरीय विधान के माध्यम से नारायण की गोद में बैठा देती है। यज्ञ भगवान का मुख है, इस यज्ञ में जो हम आहूति देते हैं वह नारायण भोजन में स्वीकार करते हैं। माता दुर्गा निष्ठा की माया है, माया से संसार बंधन में रहता है अपने कर्म सीमाओं में कार्य करता है अधिक माया होने पर मनुष्य भटक जाता है, पापों का नाश करने एवं विश्व में शांति के लिए यज्ञ किए जाते हैं। जैन परिवार के पवन जैन, दीपक जैन, सुनील जैन, , दिव्या अंकुश जैन, अर्पिता सुदीप जैन, भारती अमित जैन, महावीर जैन, संजय जैन, अजीत जैन, सचिन जैन अजय जैन, नितिन जैन, आदि भक्तों ने नवमीं के दिन माता की पूजा-अर्चना व आरती करते हुए यज्ञ में भाग लेकर आहुतियां दी। अंत में महाआरती के पश्चात कन्या पूजन एवं भोज का भी आयोजन संपन्न हुआ।

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