महादेव की गोद में तो कहीं खाटू श्याम के साथ तो कहीं माता पार्वती के साथ सडानन्द कार्तिकेय के साथ विराजे भगवान गजानन नंदी और शेषनाग पर बैठे गणेशजी ले रहे मूर्तिकारों के यहां अंतिम आकार

महादेव की गोद में तो कहीं खाटू श्याम के साथ तो कहीं माता पार्वती के साथ सडानन्द कार्तिकेय के साथ विराजे भगवान गजानन नंदी और शेषनाग पर बैठे गणेशजी ले रहे मूर्तिकारों के यहां अंतिम आकाr

 

ब्यूरो चीफ नरेन्द्र राय SJ न्यूज एमपी

 

लोकेशन रायसेन

 

रायसेन।दस दिवसीय गणेशोत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही है। 19 सितंबर सोमवार से शुरू हो रहे इस गणेशोत्सव के लिए गंजबाजार पाटनदेव नरापुरा राहुल नगर वार्ड 13 अर्जुन नगर सहित अन्य स्थानों पर मिट्टी की छोटी—छोटी प्रतिमाएं अब अंतिम आकार ले रही है। वहीं श्रीगणेश उत्सव समितियों ने भी स्थान चिन्हित कर पंडाल बनाने शुरू कर दिए है। इस उत्सव को लेकर बच्चों में भी खासा उत्साह है।शहर में लगभग 90 से ज्यादा स्थानों पर पंडाल बनाकर गिरजनन्दन भगवान गजानन की मनमोहक प्रतिमाएं पूरे धार्मिक अनुष्ठान के साथ स्थापित की जाएंगी।मूर्तिकारों के घरों में दुर्गा प्रतिमाओं के घास प्याल के स्टेचू भी बनाए जाने लगे हैं।

इस गणेश उत्सव को लेकर श्रद्धालुजन पहले की अपेक्षा ज्यादा जागरुक है ओर अधिकांश लोग पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पीओपी के स्थान पर मिट्टी की मूर्तियां बनवा रहे हैं। गंज बाजार क्षेत्र के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार लखन चक्रवर्ती , शंकर चक्रवर्ती राधे श्याम चक्रवर्ती पाटनदेव के गोंविन्द सिंह तुलसीराम चक्रवर्ती सुनील महोबिया ने बताया कि 2 से 5और 8,10 फिट की गणेश प्रतिमाओं की डिमांड ज्यादा है। यहां बन रही प्रतिमाओं में नंदी पर बैठे भगवान श्रीगणेश, उमापति महादेव पार्वती की गोद में श्रीगणेश और शेष नाग के फन पर कृष्ण रूप में खड़े श्रीगणेश,भगवान शंकर भोलेनाथ के सांवले रंग में नंदी पर सवार तो कहीं मयूर के साथ कहीं भगवान खाटू श्याम के आगे बाल रूप में खड़े हैं लंबोदर की प्रतिमा आकार ले चुकी हैं। अभी भी भगवान गणेश की प्रतिमा आर्डर पर बनाई जा रही है। इसके अलावा मिट्टी की छोटी प्रतिमा ज्यादा बन रही है। जो शहर सहित आसपास के गांवों के लोगों के लिए बनाई जा रही है। इसी तरह पाटनदेव क्षेत्र में प्रतिमा बना रहे मूर्तिकार गोंविन्द प्रजापति सुनील महोबिया ने बताया कि लकड़ी, बेलवेट का कपड़ा, बांस, सब तीन से चारगुना महंगा हो गया। कोलकाता से रंग, मुकुट, कपड़ा, चाक मिट्टी आदि मंगाने का भाड़ा भी बढ़ गया है। जिस कारण प्रतिमा महंगी हो गई है। लेकिन फिर भी लोगों के भक्ति भाव में कोई कमी नहीं है। खूब आर्डर मिल रहे हैै।एक दो रोज में मूर्तिकारों के घरों में रिद्धि सिद्दी के दाता भगवान गणेश जी की प्रतिमाएं अंतिम आकर ले चुकेंगी।

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