बाघ हमारे राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर और सनातन धर्म का आधार भी है: दिलीप पांडे,बाघों का गढ़ है बांधवगढ़ देश की शान है बांधवगढ़ : दिलीप पांडे

संजय तिवारी SJ न्यूज एमपी


उमरिया
विश्व बाघ दिवस के अवसर पर पर भाजपा जिला अध्यक्ष श्री दिलीप पांडे द्वारा सभी को बधाई देते हुए कहा कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं हमारी धरोहर हैंl आइए इस अवसर पर हम सभी मिलकर बाघों के संरक्षण एवं पर्यावरण संतुलन के प्रति स्वयं और अन्य को जागरूक करें। श्री पांडे द्वारा कहा गया कि बाघों के संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के प्रति जागरूक होकर विश्व बाघ दिवस को सार्थक बनाएंl विश्व आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ मना रहा है। जब पूरी दुनिया से बाघों की गणना कम होती जा रही थी, ये विलुप्‍त‍ि के कगार पर पहुंच गए थे, तो सबसे पहले भारत ही दुनिया का वह देश रहा, जिसने पर्यावरणीय चक्र में जीवों के महत्‍व को रेखाकिंत करते हुए इस बात पर गहराई से जोर दिया कि प्रकृति के सफल चक्र के लिए हर जीव का अपना महत्‍व है और उसका जीवन एवं अस्तित्व बेहद जरूरी है। बाघ भी प्रकृति चक्र का अहम हिस्‍सा है, इसलिए इसके विकास पर पूरे विश्‍व को ध्‍यान देना चाहिए। भारत ने इस पर अपनी चिंता व्‍यक्‍त करते हुए इस बात पर अमल भी किया। यही कारण है कि आज पूरे विश्‍व में सबसे अधिक बाघ संरक्षण कहीं हो सका है तो वह हमारा भारत ही है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। भारतीयों ने बाघ को देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना है।
श्री पांडे ने कहा कि भारत में बाघों के 51 अभ्यारण्य हैं, जो 18 राज्यों में फैले हैं। बाघों की पिछली गणना 2018 में हुई थी, जिससे पता चला था कि बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघों के संरक्षण के मामले में सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र में जो समय सीमा तय की गई है, उसे मद्देनजर रखते हुये भारत ने बाघों की तादाद दुगनी करने का लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया है।बाघों के संरक्षण के सिलसिले में भारत की रणनीति में स्थानीय समुदायों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जा रही है। हम अपनी सदियों पुरानी परंपरा का भी पालन कर रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि हमें जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के संग समरसता के साथ रहना चाहिये, क्योंकि ये सब भी इस धरती पर हमारे साथ ही रहते हैंl बाघ केवल प्रकृति में पाई जाने वाली प्रजाति मात्र नहीं है, वह सनातन हिंदू धर्म में धर्म आस्था और अध्यात्म का प्रतीक हैl बाघ की शक्ति असुरीय प्रजाति को नष्ट करने और समूल जनता के कल्याण के रूप में मां देवी दुर्गा के वाहन के रूप में देखी जाती हैl निश्चित ही बाघ हम सब की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैl हमारा जिला जनजाति बाहुल्य जिला है ऐसे में गांव मजरे टोला में बघेसुर भगवान की भी पूजा होती है इसलिए हमें इस बघेसुर भगवान के दिखाए रास्ते को आदर्श मानते हुए आम जन का कल्याण करना है l
बाघो का गढ़ है बांधवगढ़
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान उमरिया जिले की पहचान भारत देश सहित देश-विदेश में बांधवगढ़ का नाम बाघों का गढ़ के लिए मशहूर है, यहां देश-विदेश के लोग आकर बांधवगढ़ के बाघ का दीदार करते हैं और यहां की बांधवगढ़ की खूबियां अपने कैमरे में कैद कर हंसी बटोर रहे हैं । वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है। यहां बाघ आसानी से देखा जा सकता है।। sj news umariya sanjay tiwari

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